नई दिल्ली। सफदरजंग एंक्लेव में प्रतिंदर नाथ सान्याल (62) के घर में छापेमारी के बाद सामने आए हाईप्रोफाइल अंतरराष्ट्रीय सेक्स रैकेट के पीछे कई बड़े लोगों के नाम सामने आ सकते हैं। सान्याल सेवानिवृत कर्नल अजय अहलावत के साथ मिलकर काम करता था, जोकि इस रैकैट का मुख्य सरगना है। पुलिस ने अहलावत को हिरासत में लिया है।
पुलिस पूछताछ में अहलावत ने बताया कि उसका बिजवासन इलाके में बड़ा फार्म हाउस है। वहां कई हस्तियों का आना-जाना लगा रहता था। इनमें भारतीय क्रिकेट टीम के एक नामी खिलाड़ी भी हैं, जिनका जन्मदिन इसी फार्म हाउस में बने पोलो क्लब में मनाया गया था सोशल मीडिया पर इसका वीडियो भी जारी हुआ है। पुलिस इस वीडियो की सत्यता की जांच कर रही है।
दक्षिणी दिल्ली के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार मामले की जांच के लिए एक विशेष टीम बनाई गई है। पुलिस को भी संदेह है कि इस सेक्स रैकेट के तार कई हाई प्रोफाइल लोगों से जुड़े हो सकते हैं। अहलावत ने आर्मी से वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) लेकर पहले तस्करी फिर प्रॉपर्टी का बिजनेस कर जमीनों पर अवैध कब्जा किया। इसके बाद हाई प्रोफाइल लोगों से संबंध बनाने के लिए ट्रैवल एजेंसी खोली, जिसकी आड़ में सेक्स रैकेट चलाता था ताकि इसके माध्यम से हाई प्रोफाइल लोगों को खुश कर सके। पुलिस अधिकारियों के अनुसार इस रैकेट में उसने भारत ही नहीं मध्य एशियाई और यूरोपीय देशों की लड़कियों को भी शामिल कर रखा है।
सांसद की संलिप्तता नहीं
अहलावत इससे पहले भी कई आपराधिक मामलों में संलिप्त रहा है। वर्ष 2015 में डॉयरेक्टर ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (डीआरआइ) को उसकी संलिप्तता सोना तस्करी में भी मिली थी। उस पर धोखाधड़ी कर लोगों की जमीनों पर अवैध कब्जा करने का मामला भी दर्ज है। उसका संबंध उन डिफेंस डीलरों से भी है, जो लिट्टे और प्रतिबंधित संगठनों को हथियारों की आपूर्ति करते हैं। गिरफ्तार सान्याल कर्नल अहलावत के इस कारोबार को चलाता था। वह विदेशी लड़कियों को यहां के कई हाई प्रोफाइल लोगों को मुहैया कराता था।
सान्याल के घर से मिले कागजातों में कुछ सांसदों के हस्ताक्षर किए हुए लेटरहेड भी बरामद हुए हैं, जिन्हें डीसीपी दक्षिणी दिल्ली ईश्वर सिंह ने फर्जी बताया है। साथ ही अब तक की जांच में किसी भी सांसद की भूमिका या संलिप्तता से साफ इन्कार किया है। सन्याल के घर से पुलिस ने विदेशी लड़कियों के 12 पासपोर्ट भी बरामद किए हैं। टीम इसकी भी जांच कर रही है कि अहलावत के इस रैकेट की पहुंच रक्षा अधिकारियों तक तो नहीं है, जिससे रक्षा सौदों से संबंधित या अन्य जानकारियां लीक होने की संभावना बढ़ जाती है।