भोपाल। देवउठनी एकादशी यानी देवों के उठने के साथ ही शुभ मुहुर्त में शादियां भी होने लगती हैं वहीं एकादशी को सूर्य तुला राशि में होने के कारण विवाह मुहूर्त नहीं हैं। इस दिन भगवान सालिगराम व तुलसी का विवाह हुआ था इसलिए इस अबूझ मुहूर्त शादियां भी होती हैं लेकिन विवाह के शुभ मुहूर्त 16 नवंबर से ही शुरू होंगे।
देव उठनी एकादशी से विवाह करने का विधान है लेकिन इस बार मुहूर्त शुभ नहीं माना जा रहा है। शास्त्रों के अनुसार इस बार शरद ऋतु में 39 विवाह मुहूर्त हैं।
शुभ मुहूर्त : नवम्बर में 16, 17, 21, 22, 23, 24, 25, 26, 27, 28, 29, 30 और दिसम्बर में 1, 3, 8, 9, 12, 13, 14 के बाद एक माह का बिराम लगेगा। इसके बाद नए साल की शुरूआत में 15 जनवरी से 17, 20, 22, 23 कुल 5 दिन विवाह होंगे। फरवरी के माह में 1, 2, 11, 13, 14, 16, 21, 22, 28 तक जबकि मार्च माह के महीना में छहदिन विवाह होंगे।
देवउठनी एकादशी का प्रभाव इस बार दो दिनों तक है। प्रथम दिवस तुलसी सालीग्राम विवाह 10 नवंबर को है, देवउठनी ग्यारस 11 नवंबर को है। इसमें वैष्णव संप्रदाय द्वारा देवउठनी एकादशी 11 नवम्बर को मनाई जाएगी।
मांगलिक कार्यों में इस बीच दो बार बिराम भी लगेंगे। पहला 16 दिसम्बर से, जब सूर्य का प्रवेश धनु राशि में होगा। इसके बाद 15 जनवरी को मकर संक्रांति के बाद पुन: मुहूर्त आरंभ हो जाएंगे। मार्च में होलाष्टक लगेंगे, गर्मियों में 15 अप्रैल के बाद विवाह फिर शुभ मुहूर्त रहेंगे।
पंडित एवं ज्योतिषाचार्य राधेश्याम द्विवेदी का कहना है कि देवउठनी ग्यारस 11 नवंबर को पड़ रही है। इस दौरान सूर्य तुला राशि में होने से इस दिन विवाह मुहूर्त नहीं है।