नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय योग्यता प्रवेश परीक्षा (नीट) से राज्य सरकारों को छूट देने वाले केंद्र सरकार के अध्यादेश पर नाराजगी जताते हुए फिलहाल हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है। देश के सभी सरकारी और निजी कालेजों मे एमबीबीएस, बीडीएस और स्नातकोत्तर कोर्सेज में प्रवेश के लिए नीट पर केंद्र सरकार के अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जमकर फटकार लगाई। सुनवाई के दौरान न्यायाधीश जस्टिस अनिल आर दवे की पीठ ने कहा, ‘आपने जो किया वह सही नहीं हैश्। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अध्यादेश लाना नहीं चाहिए था। अदालत ने केंद्र सरकार से पूछा कि आपने ऐसा क्यों किया? यह उचित नहीं है। केंद्र ने कहा कि अध्यादेश के बाद 17 राज्य अपने राज्य में मेडिकल प्रवेश परीक्षा ले चुके हैं। शीर्ष अदालत ने नीट अध्यादेश पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर किया है। इससे पहले न्यायाधीश एल नागेश्वर राव ने इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है। इसके अलावा देशभर में सेंट्रल काउंसलिंग की व्यवस्था करने की मांग को लेकर दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा कि आधे से ज्यादा राज्यों ने अपनी परीक्षा का आयोजन कर लिया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इसी साल से नीट लागू करने के फैसले के बाद केंद्र सरकार ने 24 मई को एक अध्यादेश जारी किया था और इसके जरिए तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, महाराष्ट्र और पंजाब को अपने कालेजों में इस साल के लिए नीट से छूट दे दी गई थी। केंद्र सरकार के इस अध्यादेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। कार्यकर्ता आंनद रॉय द्वारा याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ कोई अपील नहीं की जा सकती, इसलिए अध्यादेश को रद्द किया जाए। इसके साथ ही कहा गया है कि देश भर के सभी संगठनों के कानून एकसामन होना चाहिए। इसके अलावा याचिका में देशभर में सेंट्रल काउंसलिंग की व्यवस्था करने की मांग भी की गई है।
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