पंजाब में अब नई भर्तियों केंद्रीय वेतनमान के अनुरूप ही होगा। वित्तीय घाटा प्रबंधन के लिए गठित की गई कैबिनेट सब कमेटी के फैसले को कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार ने लागू कर दिया है। वित्त विभाग ने सभी विभागों को पत्र जारी करके कहा है कि वे जो भी नई भर्ती करना चाहते हैं उसके लिए केंद्रीय वेतनमान के अनुसार ही बजट बनाएं। वित्त विभाग इस पत्र के बाद कई सवाल खड़े हो गए हैं, लेकिन कोई भी सीनियर अधिकारी इस पर बोलने को राजी नहीं है। इसके बाद पुराने कर्मचारियाें को लेकर सवाल उठ गए हैं।

कैबिनेट सब कमेटी के फैसले को सरकार ने किया लागू
केंद्र सरकार ने तो अपने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू कर दिया है, जबकि पंजाब ने पूर्व मुख्य सचिव जय सिंह गिल के नेतृत्व में छठा वेतन आयोग गठित किया हुआ है। इसकी रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या सरकार नए और पुराने कर्मचारियों के लिए दो-दो वेतनमान लागू करना चाहती है?
राज्य सरकार का कर्मचारियों को वेतन देने का बिल 27,708 करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर चुका है। इसको कम करने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं। सरकार ने अभी तक पिछली चार किश्तें डीए की भी रोक रखी हैं जो 16 फीसद बनती हैं। हालांकि पंजाब सरकार यदि केंद्र का वेतनमान लागू कर देती है तो इससे सरकार पर ज्यादा अतिरिक्त वित्तीय भार नहीं पड़ेगा। केंद्र सरकार की सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों से उतना ही वित्तीय भार पड़ेगा जितना पंजाब ने अपने पांचवें वेतन आयोग के लागू करने पर वहन किया हुआ है।
दूसरा बड़ा सवाल नई भर्ती पर मूल वेतन (बेसिक पे) देने को लेकर है। पूर्व अकाली-भाजपा सरकार ने वर्ष 2016 में एक बिल पारित करके कहा था कि नए भर्ती होने वाले कर्मचारियों को पहले तीन साल तक केवल डीए और गे्रड पे ही दी जाएगी। यदि सरकार ने केंद्र का वेतन आयोग लागू किया तो क्या यह शर्त लागू रहेगी या फिर उन्हें पूरा वेतनमान दिया जाएगा?
भर्ती प्रक्रिया हो रही प्रभावित
वित्त विभाग की ओर से जारी पत्र के चलते कई विभागों में भर्ती प्रक्रिया प्रभावित हो रही है। वित्त विभाग बार-बार विभागों को केंद्रीय वेतनमान के अनुसार बजट को संशोधित करके भेजने को कह रहा है।
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