नई दिल्ली । दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जीएन साईबाबा, जेएनयू स्टूडेंट हेम मिश्रा और पूर्व पत्रकार प्रशांत राही और दो अन्य को गढ़चिरौली कोर्ट ने माओवादियों से संपर्क रखने और भारत के खिलाफ षडयंत्र रचने का दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
वहीं, छठे आरोपी विजय तिर्की को 10 साल की सजा सुनाई गई है। आजीवन कारावास की सजा पाने वालों में महेश तिर्की और पांडु नरोट भी शामिल हैं।
कोर्ट ने साईबाबा और पांच अन्य को भारत के खिलाफ युद्ध का षडयंत्र रचने का दोषी पाया है। साईबाबा दिल्ली यूनिवर्सिटी के राम लाल आनंद कॉलेज के प्रफेसर थे। जज एस.एस. शिंदे ने सभी आरोपियों को अनलॉफुल ऐक्टिविटीज (प्रीवेन्शन) ऐक्ट की धारा 13,18,20, 38 और 39 का दोषी पाया है।
अभियोजन पक्ष के वकील प्रशांत शाठीनादन ने इसी ऐक्ट की धारा 20 के तहत सभी को आजीवन कारावास की सजा की मांग की थी। उन्होंने दलील दी थी कि भले ही साईबाबा शारीरिक रूप से अक्षम हैं और व्हीलचेयर के सहारे रहते हैं, लेकिन उन्हें सजा में छूट नहीं मिलनी चााहिए।
साईबाबा पिछले साल जून से जमानत पर रिहा थे।
वहीं, मिश्रा और राही को अगस्त और सितंबर 2013 को क्रमशः अहेरी और छत्तीसगढ़ से गिरफ्तार किया गया था। साईबाबा को 9 मार्च 2014 को गिरफ्तार किया गया था। पुलिस का यह दावा था कि उनसे पेन ड्राइव, हार्ड डिस्क और अन्य दस्तावेज बरामद किए गए हैं।