नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संघचालक और प्रमुख मोहन भागवत ने आरएसएस के तीन दिवसीय कार्यक्रम में एक बार फिर बड़ा बयान देते हुए हिन्दुस्तान में सभी धर्मो की एकता और भाईचारे की बात कही है। उनके इस बयान को आरएसएस की छवि बदलने का एक प्रयास बताया जा रहा है। 
मोहन भागवत ने यह बयान मंगलवार को आरएसएस द्वारा राजधानी दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में कही है। इस कार्यक्रम में जनता को सम्बोधित करते हुए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि भारत जरूर एक ‘हिंदू राष्ट्र’ है लेकिन इसका मतलब यह नहीं की यहाँ मुस्लिम नहीं रह सकते या यहाँ किसी और धर्म के लिए कोई जगह नहीं है। संघ प्रमुख भागवत ने यह भी कहा है कि आरएसएस हमेशा सार्वभौमिक भाइचारे की दिशा में काम करता है और इस भाइचारे का मुख्य सिद्धांत विविधता में एकता है।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने संघ और धर्म के बारे में देश और दुनिया में जागरुकता फ़ैलाने की मंशा से देश की राजधानी दिल्ली में एक कार्यक्रम आयोजित करवाया है। इस तीन दिवसीय कार्यक्रम को ‘भविष्य का भारत : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टिकोण’ नाम दिया गया है। कल मंगलवार को संघ के इस व्याख्यान में अमेरिका, जर्मनी, जापान, सिंगापुर और सर्बिया के विदेशी मिशनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया .
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