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यूपी से बनाए तीन मंत्री, क्षेत्रीय और जातीय संतुलन का रखा गया पूरा ख्याल

 

mmmmश्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊ। मंगलवार को हुए मंत्रिमंडल विस्तार में यूपी के तीन मंत्रियों को शामिल कर भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व ने यह बता दिया है कि वह यूपी में अपनी सरकार बनाने को लेकर बेहद संजीदा है। आज की कवायद को दलितों और पिछड़ों को लुभाने के भाजपा के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है, जिनके वोट उत्तर प्रदेश जैसे महत्वपूर्ण राज्य में भाजपा के चुनावी भाग्य के लिए महत्वपूर्ण होंगे। यही कारण है कि इस मंत्रिमंडल विस्तार में जहां क्षेत्रीय संतुलन का खास ध्यान रखा गया है वहीं जातिगत संतुलन बिगड़ने न पाए, इस पर पैनी नजर रखी गई है।यूपी विधानसभा चुनाव के पहले लगातार इस बात पर चर्चाएं तेज हैं कि  भाजपा में ब्राम्हणों की उपेक्षा हो रही है। डाॅ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी के हटने और केशव मौर्या के प्रदेश अध्यक्ष बनने पर पार्टी पर ब्राम्हण विरोधी होने के आरोप लगातार लग़ रहे हैं। पार्टी ने इसी आरोप से बचने के लिए महेन्द्र नाथ पाण्डेेय को मंत्रिमडल में स्थान दिया है। पाण्डे के मंत्री बनने से उसने एक तीर से दो निशाने साधे हंै। एक तो ब्राम्हण चेहरा देकर भाजपा ने अपना यह दाग धोने की कोशिश की है। साथ ही उसने पूर्वांचल की उपेक्षा का लग रहा आरोप भी साफ करने की पूरी कोशिश की है।भाजपा नेतृत्व को पता है कि कुर्मी वोट पाने के लिए अनुप्रिया को मंत्रिमंडल में लाना बेहद आवश्यक है। नेतृत्व को पता है कि समाजवादी पार्टी की पिछड़ी जातियों में अच्छी खासी पकड़ है। इसलिए इस वोट बैक को विधानसभा चुनाव में हासिल करना बेहद जरूरी होगा।अपना दल की पूर्वी यूपी के पिछड़ों खासकर पटेलों के बीच अच्छी पैठ के चलते ही कुछ दिन पहले ही पिता डॉ सोनेलाल पटेल के जन्मदिन पर अनुप्रिया ने रैली में हजारों की भीड़ जुटाकर भाजपा को अपनी ताकत का अहसास कराया था। इसमें भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी शामिल हुए थें।रमाशंकर कठेरिया के मंत्रिमडल से हटने के बाद उसकी भरपाई के लिए कृष्णा राज को मंत्रिमंडल में स्थान दिया गया है। दलित बिरादरी से ताल्लुक रखने वाली कृष्णा राज पिछले 35 सालों से राजनीति में सक्रिय है और रूहेलखण्ड क्षेत्र में दलितों में उनकी अच्छी खासी पैठ को देखते हुए ही उन्हे मंत्री बनाया गया है। भाजपा नेतृत्व ने कृष्णाराज को मंत्रिमंडल मे स्थान देकर इस बात की पुष्टि करने की कोशिश की है कि वह दलितों और महिलाओं के उत्थान के लिए बेहद गंभीर है।

 

 

यूपी के नये मंत्रियों का परिचय

1 महेन्द्र नाथ पाण्डेयः

महेन्द्र नाथ पाण्डेय चंदौली लोकसभा से पहली बार 2014 के  लोकसभा चुनाव में जीते। महेंद्र नाथ पाण्डेय देश के गृह मंत्री राजनाथ सिंह के पैतृक जिले चंदौली से सांसद बने। एमए पीएचडी 58 वर्षीय डॉ. महेंद्र नाथ पाण्डेय उत्तर प्रदेश सरकार में कल्याण सिंह तथा राम प्रकाश गुप्ता के कार्यकाल में मंत्री भी रह चुके हैं।

2 अनुप्रिया सिंह पटेलः

मिर्जापुर की सांसद बनने के पहले अनुप्रिया सिंह पटेल अपना दल से 2012 का विधानसभा (रोहनिया) वाराणसी से चुनाव जीती थीं। अपने पिता स्व. डा सोनेलाल पटेल की राजनीतिक विरासत संभालने वाली अनुप्रिया का जन्म 28 अप्रैल 1981 को कानपुर में हुआ। कुर्मी बिरादरी से ताल्लुक रखने वाली अनुप्रिया ने एमबीए की शिक्षा दिल्ली के श्रीराम कालेज से प्राप्त की है।

3ः कृष्णाराज

मूल रूप से (मोहम्मदी) लखीमपुर खीरी की रहने वाली है। लेकिन पिछले दस वर्षांे से शाहजहांपुर को अपना निवास बनाने वाली शाहजहांपुर की संासद कृष्णा राज इसके पहले 1996 से 2007 तक यूपी विधानसभा का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। 2009 में शाहजहापुर लोकसभा सीट से चुनाव हार चुकी हैं लेकिन मोदी लहर में वह 2014 शाहजहांपुर आरक्षित से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंची।  दलित समाज से जुड़ी होने के कारण प्रधानमंत्री मोदी ने और पहली बार मंत्री बनी है।

 

 

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