नई दिल्ली। प्रख्यात वकील राम जेठमलानी ने कहा कि भारत को पाकिस्तान से नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को सुनायी गई मौत की सजा के फैसले की प्रति जरुर लेनी चाहिए जिससे यह पता चल सके कि जाधव को किस आधार पर मौत की सजा दी गई।
उन्होंने कहा, ‘‘हम यह जानना चाहते हैं कि क्या सजा सही है, सही से आशय है कि उसे दोषी ठहराया जाना सही है या नहीं और फिर सवाल यह उठता है कि उसके लिए कैसी सजा का प्रावधान है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मान लीजिए उसे मूर्खतापूर्ण साक्ष्यों पर दोषी ठहराया गया हो तो भारत के लिए ज्यादा मजबूत मामला बनता है।’’ यहां इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में ‘‘भारत-पाक रिश्तों में सुधार’’ विषय पर आयोजित एक सम्मेलन से इतर बोलते हुए आपराधिक मामलों के वरिष्ठ वकील ने यह बातें कहीं।
इस सम्मेलन में पाकिस्तानी उच्चायुक्त अब्दुल बासित, पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी और वरिष्ठ कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर भी शामिल हुए। सम्मेलन के समापन के मौके पर कल रात उस समय थोड़ी अफरातफरी मच गई जब मीडिया के कुछ सदस्यों ने बासित और कसूरी को घेरकर उन पर सवालों की बौछार की दी।
नौसेना के पूर्व अधिकारी 46 वर्षीय जाधव को कथित तौर पर ‘‘जासूसी और विध्वंसक’’ गतिविधियों के आरोप में पाकिस्तानी सैन्य अदालत द्वारा मौत की सजा सुनाए जाने को लेकर भारत में काफी नाराजगी है और इसी के मद्देनजर पत्रकारों ने सवालों के लिये उन्हें घेरा था।
जेठमलानी ने कहा, ‘‘हर तरफ से प्रतिक्रियाएं आ रही हैं और मीडिया भी इसपर कड़ी प्रतिक्रिया दे रहा है। लेकिन सबसे पहले हमें यह जरूर जानना चाहिए कि उसे किस साक्ष्य के आधार पर सजा दी गई।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे यह पढऩा चाहिये कि आरोप क्या हैं और साक्ष्य क्या हैं जिनपर उन्होंने (पाकिस्तान) कार्रवाई की और मौत की यह सजा क्यों है। जहां तक मैं देख सकता हूं मौत की सजा सिर्फ उन्हीं मामलों में न्यायोचित है जिसमें आप और गंभीर अपराध के बारे में सोच नहीं सकते, यह कानून है।
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