वाराणसी। ‘तबले पर दुनिया भर में मशहूर धिर…धिर…तिटकत की खास उठान से मशहूर हुए पं.लच्छू महाराज (लक्ष्मीनारायण सिंह) शुक्रवार की सुबह मणिकर्णिकाघाट पर पंचतत्व में विलीन हो गये। उनके छोटे भाई अधिवक्ता जयनारायण सिंह ने उन्हें मुखाग्नि दी। उनकी अन्तिम यात्रा में बारिश के बावजूद नगर के गणमान्य नागरिक, कलाकार, विभिन्न दलों के नेता सामाजिक कार्यकर्ता शिष्य शामिल हुए।
प्रख्यात तबला वादक का पार्थिव शरीर भोर में भिखारीपुर स्थित निजी अस्पताल से भोगाबीर स्थित आवास पर लाया गया। यहां अन्तिम संस्कार की क्रियाओं के बाद लगभग सात बजे बारिश के बीच वाहन से शव पैतृक आवास घुघरानी गली दालमण्डी लाया लाया। यहां शव को लगभग एक घंटा तक अन्तिम दर्शन के लिए रखा गया। जहां लोगों ने नम आखों से पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित कर विदाई दी। यहां से लगभग आठ बजे पुनः अन्तिम यात्रा मणिर्णिकाघाट के लिए निकली। अन्तिम यात्रा में लच्छू महाराज के परिजन भाई राजेन्द्र सिंह, विजय नारायण सिंह, जयनारायण सिंह, आनन्द सिंह, रविन्द्र सिंह और उनके पुत्र, भतीजा रिश्तेदार के अलावा प्रख्यात गायक दलेर मेंहदी के भाई शमशेर मेंहदी, बनारस घराने के कलाकार शिष्य भाजपा सांसद वीरेन्द्र सिंह के भाई मोहन सिंह, पूर्व एमएलसी अरविन्द सिंह, विख्यात सितार वादक डा.राजेश शाह, शिन रावडोकर, डा.प्रवीण उद्वव आदि शामिल रहे।
गौरतलब हो कि 72 वर्षीय पं.लच्छू महाराज का बुधवार देर रात दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वे कई दिनों से बीमार थे। 16 अक्टूबर 1944 को उनका जन्म हुआ था। सादगी पसंद लच्छू महाराज दस भाई बहनो में दूसरे नम्बर पर थे। बड़ी बहन निर्मला के पुत्र अभिनेता गोविन्दा है। स्वाभिमानी और अक्खड़ स्वभाव के लच्छू महाराज इमरजेंसी के दौरान जेल में तबला बजाकर इसका विरोध करते थे। उन्होंने पद्मश्री सम्मान लेने से मना कर दिया था। वह कहते थे कि श्रोताओं की वाह और तालियों की गड़गड़ाहट ही कलाकार का पुरस्कार होता है।
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