उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर भले ही कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में गठबंधन हो गया हो, लेकिन अब भी सीटों को लेकर दोनों दलों में पेंच फंसा हुआ है.
दरअसल, यूपी चुनाव में समाजवादी पार्टी 298 और कांग्रेस 105 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी. हालांकि, अब तक यह साफ नहीं हो पाया कि किन सीटों पर कौन सी पार्टी चुनाव लड़ेगी.
कांग्रेस ने मंगलवार को कहा कि वह अमेठी और रायबरेली की सभी 10 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी. दिलचस्प बात यह है कि समाजवादी पार्टी इन 10 में से पांच सीटों पर पहले ही प्रत्याशियों का एलान कर चुकी है.
प्रियंका गांधी पर टिकी निगाहें
अमेठी से कांग्रेस के विधान पार्षद और गांधी परिवार के बेहद करीबी दीपक सिंह ने कहा, ‘पिछले पांच साल से इन सीटों पर जीत के लिए हम पूरी मेहनत कर रहे हैं. खासकर 2014 लोकसभा चुनाव के बाद तो हमने इन सीटों पर अपनी पूरी ताकत झोंक दी. समाजवादी पार्टी के मुकाबले इन सीटों पर जीतने की हमारी अधिक संभावना है. हमलोगों ने अपने कार्यकर्ताओं से भी कह दिया है कि इन सीटों पर कांग्रेस ही चुनाव लड़ेगी.’
इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक, कांग्रेस नेताओं ने अपनी बात अब प्रियंका गांधी तक भी पहुंचा दी है. प्रियंका का समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन कराने में अहम भूमिका रही है. ऐसे में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को उम्मीद है कि उनकी बात जरूर सुनी जाएगी.
अमेठी में कांग्रेसी प्रवक्ता अनिल सिंह ने कहा, ‘कार्यकर्ताओं की भावनाएं यहां पंजे के निशान के साथ है. हमने पार्टी हाइकमान और कार्यकर्ताओं को भी बता दिया है कि हम यहां सभी सीटों (अमेठी और रायबरेली) पर चुनाव लड़ेंगे.’
दरअसल, कई कांग्रेसी कार्यकर्ताओं और नेताओं का लगता है कि यदि उन्होंने अमेठी और रायबरेली की पांच सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ दी तो 2019 लोकसभा चुनाव में उन्हें नुकसान होगा. इसके बाद शायद ही वे इन सीटों पर फिर से खड़ा हो पाएं.
पिछले चुनाव में अमेठी में बुरी तरह हारी कांग्रेस
अमेठी के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता का कहना है, ‘कई दौर की बातचीत के बाद यह तय हुआ कि अमेठी सहित तीन सीटों पर समाजवादी पार्टी चुनाव लड़ेगी और बाकी सीटों पर कांग्रेस. अब समाजवादी पार्टी ने खुद ही पांच सीटों पर प्रत्याशियों का एलान कर दिया. अब उनके उम्मीदवार नामांकन वापस लेने को भी तैयार नहीं हैं. हमलोग तीन सीटों पर समझौता कर सकते हैं, लेकिन बाकी सीटों पर बिल्कुल नहीं. यदि ऐसा नहीं होता है तो कांग्रेस सभी 10 सीटों पर चुनाव लड़ेगी.’
अमेठी और रायबरेली में सपा ने जिन पांच सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है, वे ये हैं. अमेठी से गायत्री प्रसाद प्रजापति, गौरीगंज से राकेश प्रताप सिंह, रायबरेली के सालोन से अक्षय प्रताप सिंह, सरेनी से देवेंद्र प्रताप सिंह और उनचहर से मनोज कुमार पांडेय समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार होंगे. ये प्रत्याशी अभी इन्हीं सीटों से विधायक हैं.
रायबरेली में विधानसभा की पांच सीटें हैं- बछरांवा, हरचंद्रपुर, रायबरेली, सरेनी और उनचहर. 2012 के विधानसभा चुनाव में इन पांच सीटों में से सपा ने चार सीटें जीती थी. कांग्रेस यहां एक भी सीट नहीं जीत पाई थी.
अमेठी में भी पांच विधानसभा की सीटें हैं- तिलोई, सलोन, जगदीशपुर, गौरीगंज और अमेठी. पिछले चुनाव में कांग्रेस ने तिलोई और जगदीशपुर सीटें जीती थी, बाकी सीटें सपा के खाते में गई थी.
यूपी में सात चरणों में चुनाव
उत्तर प्रदेश में 11 फरवरी से 8 मार्च के बीच सात चरणों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. कांग्रेस, राष्ट्रीय लोक दल और समाजवादी पार्टी के अखिलेश धड़े के बीच गठबंध के बावजूद बहुकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा.
केंद्र में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने के बाद जिस तरह से बीजेपी को दिल्ली और बिहार में करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है, वैसे में उत्तर प्रदेश का चुनाव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है. मुख्यमंत्री चेहरे को सामने न लाकर एक बार फिर बीजेपी ने पीएम मोदी के चेहरे पर दांव खेला है. इसका कितना फायदा उसे इन चुनावों में मिलेगा वह 11 मार्च को सामने आ ही जाएगा.
ये होंगे मुद्दे
इस बार उत्तर प्रदेश चुनावों में समाजवादी पार्टी में मचे घमासान के अलावा प्रदेश की कानून व्यवस्था, सर्जिकल स्ट्राइक, नोटबंदी और विकास का मुद्दा प्रमुख रहने वाला है. जहां एक ओर बीजेपी और बसपा प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर अखिलेश सरकार को घेर रही हैं, वहीँ विपक्ष नोटबंदी के फैसले को भी चुनावी मुद्दा बना रहा है.
यूपी विधानसभा में कुल 403 सीटें हैं. 2012 के विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी ने 224 सीट जीतकर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी. पिछले चुनावों में बसपा को 80, बीजेपी को 47, कांग्रेस को 28, रालोद को 9 और अन्य को 24 सीटें मिलीं थीं.