नई दिल्लीः पूरे देश को एक बाजार बनाने वाली नयी अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था यानी GST लागू करने के लिए केंद्र सरकार ने चार अहम विधेयक संसद में पेश किए हैं।
इन विधेयकों में प्रमुख रूप से…
1- सेंट्रल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स बिल
जीएसटी लागू होने के बाद केंद्र सरकार किस तरह से कर वसूल सकती है, उसकी व्याख्या इस विधेयक में की गयी है। यहां ये साफ कर दिया गया है कि शराब को छोड़ सभी सामान और सेवाओं पर कर लगेगा। कर की दर ज्यादा से ज्यादा 40 फीसदी (20 फीसदी केंद्र+ 20 फीसदी राज्य) हो सकती है। ई कॉमर्स कंपनियो की जिम्मेदारी भी तय की गयी है कि सामान मुहैया कराने वालों को किए गए भुगतान पर एक फीसदी की दर से टैक्स काटे। विधेयक का एक महत्वपूर्ण प्रावधान गैर-वाजिब तरीके से कमाए मुनाफे पर लगाम लगाने से जुड़ा है। इस तरह के प्रावधान का मतलब ये है कि जीएसटी लागू होने की सूरत में अगर किसी सामान पर कर की दर मौजूदा दर से कम हो जाती है तो ऐसी सूरत में सामान बनाने वाली कंपनियां अधिकत्तम खुदरा मूल्य यानी एमएमपी पहले की ही तरह रखकर अपनी जेब नही भर सकती। टैक्स घटने का फायदा उसे ग्राहकों तक पहुंचना होगा। इस तरह के प्रावधान मलय़ेशिया में लागू किए गए हैं। इस बिल के दायरे में 29 राज्य और विधानसभा वाले दो केंद्र शासित प्रदेश – दिल्ली और पुड्डुचेरी शामिल किया गया है।
2-इंटिग्रेटेड गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स बिल (IGST)
दो राज्यों के बीच वस्तुओं व सेवाओं के व्यापार कर लगाने के मकसद से ये विधेयक लाया गया है। इसके साथ ही आयातित सामान पर भी कर लगान का अधिकार मिलेगा।
3- यूनियन टेरीटरी गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स बिल (UT GST)
इस विधयेक के जरिए पांच केद्र शासित प्रदेश अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, लक्क्षद्वीप, दादरा नगर हवेली, दमन-दियू और चंडीगढ़ में जीएसटी लागू करना मुमकिन हो सकेगा। चूंकि इन पांच केंद्र शासित प्रदेशों में विधानसभा नहीं है, इसीलिए वहां किसी भी कानून को लागू करने के लिए विधायी कार्य पूरा करने की जिम्मेदारी केंद्रीय संसद की है।
4- गुड्स एंड सर्विसैज टैक्स (कम्पनशेषण टू स्टेट्स) बिल
जीएसटी लागू होने की सूरत में कई राज्यों को ये आशंका थी कि उनकी आमदनी में कमी आएगी। इसीलिए वो चाहते थे कि केंद्र सरकार ऐसे किसी संभावित नुकसान के लिए हामी भरे। केंद्र सरकार इसके लिए राजी हो गयी और मुआवजे की व्यवस्था को सुचारू रुप से चलाने के लिए ही ये विधेयक लाया गया है। विधेयक के जरिए पांच साल तक नुकसान की पूरी राशि के बराबर मुआवजा देने का प्रावधान है। मुआवजे के आंकलन के लिए 2015-16 में हुई राज्यों की कमाई को आधार बनाया जाएगा।
अब इन चार विधेयकों के अलावा 29 राज्यों के साथ दिल्ली और पुड्डूचेरी की विधानसभाओं को स्टेट गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (एसजीएसटी) से जुड़ा विधेयक पारित करना है। उम्मीद है कि पूरी विधायी प्रक्रिया अगले एक से दो महीने में पूरी हो जाएगी जिसके बाद पहली जुलाई से जीएसटी लागू करना संभव हो सकेगा।