उड़ी आतंकी हमले के बाद सितंबर 2016 को भारतीय सेना ने पीओके पर बने लांचपैड को निशाना बनाया था। भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों के बीच अमेरिका में हो रही संयुक्त राष्ट्र आमसभा के दौरान द्विपक्षीय वार्ता होनी थी। जिसे कि सेना के जवान के साथ हुई बर्बरता और हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकियों द्वारा पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद रद्द कर दिया गया था।
हिजबुल कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद कश्मीर में होने वाली हिंसा की घटनाओं में इजाफा हुआ था। जुलाई 2016 में सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में वानी को मार गिराया था। पिछले एक साल में पत्थरबाजी और भीड़ हिंसा पर काफी हद तक लगाम लगी है। वहीं पाकिस्तान समर्थित आतंकी समूहों द्वारा जम्मू और कश्मीर के पुलिसकर्मियों को निशाना बनाने और बढ़ती घुसपैठ की कोशिशों में इजाफा हुआ है।
बुरहान वानी की मौत से पहले पीओके में केवल 14 लांचपैड सक्रिय थे जिसमें 160 आतंकी रहा करते थे। लेकिन वानी की मौ

पीओके में जो 27 लांचपैड सक्रिय हैं उनमें लीपा, चखोटी, बरारकोट, शारदी और जूरा घाटी में लश्कर-ए-तैयबा जबकि बरारकोट और कहूटा के क्षेत्रों में हिजबल मुजाहिद्दीन के कैंप लगे हुए हैं। लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य लीपा, चन्नानियन, मंदौकली और नौखट के जरिए भारत में घुसने की कोशिश में हैं और इनकी संख्या अब 25-30 है। इनके कैंप नौगाम सेक्टर के ठीक सामने हैं। यह क्षेत्र उड़ी और कुपवाड़ा के बीच में है। एक खुफिया अधिकारी के अनुसार लगभग 250 आतंकी भारत में घुसपैठ करने की कोशिश में हैं।
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