 कुशीनगर। कुशीनगर में निर्मित हो रहे इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर वर्ष भर में 4 लाख 15 हजार सैलानी आयेंगें। अनुमान के मुताबिक इनमें 3 लाख 15 हजार पर्यटक बौद्ध देशों के होंगे जबकि एक लाख सैलानी खाड़ी देशों में रोजगार के लिए आने जाने वाले यात्रियों के होंगे। टाप टेन सूची में शामिल बौद्ध देशों में से सात देशों से प्रतिदिन एक उड़ान आने की संभावना जताई जा रही है। टाप टेन सूची में चाइना, जापान, थाईलैंड, वियतनाम, म्यांमार, श्रीलंका, साउथ कोरिया, ताईवान, कंबोडिया व भूटान शामिल है। एयरपोर्ट की मध्यस्थ कंपनी रही आईएलएफएस का मानना है कि यदि बौद्ध देशों के सात देशों से भी एक 300 यात्रियों की एक उड़ान भी प्रतिदिन पांच माह तक आई तो संख्या 3 लाख 15 हजार तक पहुंचेगी। छरअसल, कुशीनगर का पर्यटन सीजन अक्टूबर से मार्च छह माह का है। परन्तु कंपनी इस सीजन को पांच माह का मानकर चल रही है। खाड़ी देशों से एक लाख यात्रियों के आवागमन की संख्या के पीछे की सोच एयरपोर्ट का यूपी बिहार की सीमा पर स्थित होना है।
कुशीनगर। कुशीनगर में निर्मित हो रहे इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर वर्ष भर में 4 लाख 15 हजार सैलानी आयेंगें। अनुमान के मुताबिक इनमें 3 लाख 15 हजार पर्यटक बौद्ध देशों के होंगे जबकि एक लाख सैलानी खाड़ी देशों में रोजगार के लिए आने जाने वाले यात्रियों के होंगे। टाप टेन सूची में शामिल बौद्ध देशों में से सात देशों से प्रतिदिन एक उड़ान आने की संभावना जताई जा रही है। टाप टेन सूची में चाइना, जापान, थाईलैंड, वियतनाम, म्यांमार, श्रीलंका, साउथ कोरिया, ताईवान, कंबोडिया व भूटान शामिल है। एयरपोर्ट की मध्यस्थ कंपनी रही आईएलएफएस का मानना है कि यदि बौद्ध देशों के सात देशों से भी एक 300 यात्रियों की एक उड़ान भी प्रतिदिन पांच माह तक आई तो संख्या 3 लाख 15 हजार तक पहुंचेगी। छरअसल, कुशीनगर का पर्यटन सीजन अक्टूबर से मार्च छह माह का है। परन्तु कंपनी इस सीजन को पांच माह का मानकर चल रही है। खाड़ी देशों से एक लाख यात्रियों के आवागमन की संख्या के पीछे की सोच एयरपोर्ट का यूपी बिहार की सीमा पर स्थित होना है।
बन रहा एयरपोर्ट –
पूर्वांचल के 13 जिलों व पश्चिमी बिहार के 10 जिलों के मध्य में स्थित है। इन जिलों के कई लाख लोग खाड़ी देशों में कार्यरत है। मध्यस्थ कंपनी ने अपने सर्वे में एक लाख लोगों के आवागमन करने का अनुमान लगाया है।
पर्यटन कारोबारी आरएम गुप्ता का मानना है कि यह कोई जादुई आंकड़ा नहीं है। सैलानियों की संख्या इससे अधिक भी हो सकती है। दरअसल, लंबी दूरी की थकान भरी यात्रा सभी पर्यटकों को आगे नहीं बढ़ने देती। सीनीयिर सिटीजन व वीआईपी तो यात्रा में लगने वाले समय के कारण नहीं आना चाहते। ऐसे में बौद्ध देशों के सैलानियों के लिए एयरपोर्ट वरदान बन जाएगा।
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