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अटल जी की विकास यात्रा पर भाजपा से क्‍यों नाराज हैं वाजपेयी जी की भतीजी करुणा, जानिए असली वजह

अटल जी की विकास यात्रा पर भाजपा से क्‍यों नाराज हैं वाजपेयी जी की भतीजी करुणा, जानिए असली वजह

 पूर्व प्रधानमंत्री स्‍वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के केंद्रीय नेतृत्‍व और छत्‍तीसगढ़ के मुख्‍यमंत्री डॉ. रमन सिंह से नाराज हैं. इस बार उनकी नाराजगी की वजह छत्‍तीसगढ़ के मुख्‍यमंत्री द्वारा शुरू की गई अटल विकास यात्रा को लेकर है. इससे पहले करुणा शुक्‍ला ने अटल जी की अस्थि कलश यात्रा पर बीजेपी की मंशा पर सवाल करते हुए कड़ी नाराजगी जाहिर की थी. अटल जी की भतीजी और कांग्रेस की वरिष्‍ठ नेता करुणा शुक्‍ला की इस नाराजगी को लेकर जी-डिजिटल के प्रिंसिपल कॉरेस्‍पोंडेंट अनूप कुमार मिश्र ने उनसे विस्‍तार से बातचीत की. प्रस्‍तुत हैं करुणा शुक्‍ला से बातचीत के प्रमुख अंश : 

प्रश्‍न: मुख्‍यमंत्री रमन सिंह द्वारा शुरू की गई अटल विकास यात्रा को लेकर आप नाराज हैं. इस नाराजगी की क्‍या वजह है?
करुणा शुक्‍ला: मेरी नाराजगी अटल विकास यात्रा को लेकर नहीं है. मेरी नाराजगी बीजेपी और छत्‍तीसगढ़ के मुख्‍यमंत्री रमन सिंह की मंशा को लेकर है. दरअसल, बीते दिनों बीजेपी ने अटल विकास यात्रा को लेकर एक विज्ञापन जारी किया था. इस विज्ञापन में अटल जी की तस्‍वीर नहीं है. इससे साफ होता है कि बीजेपी में नैतिकता नहीं बची है. उनकी कथनी और करनी में बहुत बड़ा अंतर है. बीजेपी के शीर्ष से लेकर छत्‍तीसगढ़ के नेताओं तक, सभी का यही हाल है. बीजेपी सिर्फ अटल जी के नाम का इस्‍तेमाल कर छत्‍तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में अपनी जीत सुनिश्चित करना चाहती है. उनके दिलों में अटल जी को लेकर न कभी श्रद्धा थी और न अब है. 

प्रश्‍न: छत्‍तीसगढ़ में अटल जी के नाम से कई योजनाएं शुरू की गई हैं. नई राजधानी का नाम भी उनके नाम पर होगा. ऐसे में बीजेपी की मंशा पर सवाल खड़ा करना कितना सही है.अटल जी की विकास यात्रा पर भाजपा से क्‍यों नाराज हैं वाजपेयी जी की भतीजी करुणा, जानिए असली वजह

करुणा शुक्‍ला: बीजेपी के शीर्ष नेतृत्‍व से लेकर छत्‍तीसगढ़ के स्‍थानीय नेता, सभी जानते हैं कि न केवल देश की जनता बल्कि अन्‍य राजनैतिक दल भी उनके प्रति स्‍नेह और श्रद्धा रखते हैं. यही वजह है कि चुनाव से ठीक पहले बीजेपी ने अट‍ल विकास यात्रा, अटल दृष्टि पत्र, अटल समग्र की तरह अन्‍य योजनाओं का नामकरण अटल जी के नाम पर किया है. अगर इनके मन में अटल जी के प्रति इतना सम्‍मान, स्‍नेह, आदर का भाव है तो 9 साल तक बीजेपी उनको क्‍यों भूली रही. तब अटल जी अस्‍वस्‍थ जरूर थे, लेकिन दुनिया में थे. बीते वर्षों में किसी भी चुनाव या कार्यक्रम में न ही उनकी फोटो, न ही उनके नाम का बैनर और न ही उनके द्वारा किए गए कार्यों का उल्‍लेख किया गया. बीते सालों का घटनाक्रम दर्शाता है कि बीजेपी की नीयत में बहुत बड़ा खोट है. 

करुणा शुक्‍ला: छत्‍तीसगढ़ की जनता रमन सिंह सरकार के असली चेहरे को जान चुकी है. बीजेपी अपने उस चेहरे को अटल जी के नाम का आवरण ओढ़ कर छिपाना चाह रही हैं. अटल जी के नाम का आवरण ओढ़ कर बीजेपी और मुख्‍यमंत्री रमन सिंह अपने तमाम नाकामियां को छिपाने की कोशिश कर रहे हैं. वास्‍तविकता तो यह है कि बीजेपी का न ही किसानों के प्रति लगाव है और न ही बेरोजगार युवाओें के प्रति कोई सोच है. मैं 15 सालों की बात नहीं कर रही हूं, मैं तो बस बीते पांच सालों की बात कर रही हूं. इन 5 सालों में सरकार खुद शराब बेचने लगी और लोगों को मदिरा पान का आदी बना दिया. लोगों को मोबाइल, चरण पादुकाएं और महिलाओं को राशन कार्ड बांट कर झांसा दिया गया. इन्‍होंने 35 रुपए किलो का चावल 60 रुपए का कर दिया.

प्रश्‍न: किसानों को समर्थन मूल्‍य और बोनस देकर बीजेपी ने उन्‍हें अपने पक्ष में करने की कोशिश की है. बीजेपी के इस कदम को लेकर आपकी क्‍या राय है?
करुणा शुक्‍ला: बीजेपी ने छत्‍तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2013 से पहले अपने घोषणा पत्र में धान की फसल पर 2100 रुपए का समर्थन मूल्‍य और 300 रुपए का बोनस देने की बात कही थी. बीजेपी की नीयत का पता इस बात से चलता है कि बीते 5 वर्षों के दौरान, उन्‍होंने न ही समर्थन मूल्‍य की चिंता की और न ही बो‍नस दिया. छत्‍तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018 से ठीक पहले बीजेपी ने एक बार फिर किसानों को गुमराह करने के लिए समर्थन मूल्‍य और बोनस देने की घोषणा की है. बीजेपी की किसानों और राज्‍य की प्रगति के प्रति संजीदगी का अंदाजा कैग की रिपोर्ट से लगाया जा सकता है. एक तरफ बीजेपी की सरकार विशेष सत्र बुलाकर अनपूरक बजट पेश कर रही है, वहीं दूसरी तरफ कैग की रिपोर्ट कह रही है कि डॉ. रमन सिंह बजट में मौजूद राशि को खर्च करने में विफल रहे हैं. प्रदेश की जनता और किसान आज भी बहदाली के शिकार हैं. 

प्रश्‍न: डॉ. रमन सिंह की सरकार किसानों की बेहतरी को लेकर तमाम दावे कर रही है. वहीं आप किसानों को बदहाली की बात कह रही हैं. यदि ऐसा है तो आपकी नजर में चूक कहां पर हुई. 
करुणा शुक्‍ला: एक समय था जब छत्‍तीसगढ़ धान का कटोरा कहलाता था. आज उसी छत्‍तीसगढ़ में किसान अपनी बदहाली से परेशान होकर आत्‍महत्‍या कर रहा है. किसानों की आत्‍महत्‍या की घटना न केवल डॉ. रमन सिंह सरकार के दावों की सच्‍चाई बयां कर रही हैं, बल्कि उनकी गलत नीतियों की वजह से छत्‍तीसगढ़ का सिर पूरे देश के सामने झुक गया है. जो सरकार चला रहे हैं और जो सरकार में सर्वोच्‍च पद बैठे हैं, उनके लिए यह बहुत शर्मनाक स्थिति है. धान का कटोरा कहलाने वाला छत्‍तीसगढ़, जिसमें भरपूर नदियां हैं, पानी इफरात है, परिश्रम है, बावजूद इसके किसान बदहाली में जी रहा है. छत्‍तीसगढ़ का आदमी परिश्रमी है, लेकिन सरकार ने इन परिश्रमी किसानों को शराब में डुबो दिया है. किसानों की आत्‍महत्‍या सरकार की सबसे बड़ी नाकामियों में एक है

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