अपने खास अंदाज और कार्यशैली को लेकर चर्चा में रहने वाले स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के लिए यही बात अब भारी पड़ती दिख रही है। सिद्धू दफ्तरों में छापे मार रहे हैं और गड़बड़ी करने वाले अफसरों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रहे हैं। उनकी यह सक्रियता कई कांग्रेस विधायकों को नहीं भा रही है और वे इससे नाराज हैं। ऐसे में सिद्धू इन विध्ाायकों के निशाने पर आ गए हैं।
पटियाला के बाद जालंधर में निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की कार्रवाई के बाद उभरा मतभेद
इस बार वह जालंधर के कांग्रेस विधायकों के निशाने पर हैं। जालंधर में अवैध कालोनियों को लेकर बिल्डिंग ब्रांच के आठ अधिकारियों को सस्पेंड करने के बाद उन्हें अपनी ही पार्टी के विधायकों का विरोध सहना पड़ रहा है। विरोध का आलम यह है कि बुलाने पर भी सिद्धू की प्रेस कांफ्रेंस में जालंधर के चार में से तीन विधायक नहीं पहुंचे। यह पहला मौका नहीं है जब सिद्धू अपनी ही पार्टी में निशाने पर न आए हों।
जालंधर में अवैध निर्माण मामले में कार्रवाई का कांग्रेस के तीन विधायकों ने किया विरोध
इससे पहले सिद्धू ने उन्होंने पटियाला में मेयर दफ्तर में दबिश दी थी तो स्वास्थ्य मंत्री ब्रह्म मोहिंदरा ने इसका विरोध किया था। कैबिनेट बैठक में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के सामने ही सिद्धू और ब्रह्म मोहिंदरा में तल्खी हो गई थी।
वीरवार को जालंधर में नाजायज कालोनियों की आ रही शिकायतों को देखते हुए सिद्धू ने बिल्डिंग ब्रांच के आठ अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया। उनकी यह कार्रवाई शहर के कांग्रेस विधायकों को ही रास नहीं आई। पार्षद से विधायक बने जालंधर वेस्ट के विधायक सुशील रिंकू अौरजालंधर सेंट्रल के राजिंदर बेरी ने सिद्धू की इस कार्रवाई का विरोध किया। अब जालंधर नार्थ के विधायक जूनियर अवतार हैनरी ने भी दोनों विधायकों का समर्थन किया है।
इन विधायकों का कहना है कि मंत्री को पहले वन टाइम सेटलमेंट स्कीम लानी चाहिए थी। इसके बाद अगर लोग पैसा न जमा करवाते तो कार्रवाई करनी चाहिए थे। जानकारी के अनुसार, विधायक इस मुद्दे को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह तक लेकर जाने की तैयारी में हैं। जालंधर कैंट के विधायक परगट सिंह सिद्धू के समर्थन में हैं।
पिछले साल विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस में आने वाले नवजोत सिंह सिद्धू का विवादों से नाता बना रहा है। वह कभी केबल माफिया के विरुद्ध आक्रामक हुए तो कभी रेत माफिया के खिलाफ, लेकिन इन दोनों ही मुद्दों पर उन्हें मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का समर्थन नहीं मिला।
सरकार ने सिद्धू की पत्नी डा. नवजोत कौर सिद्धू को वेयर हाउस कारपोरेशन का चेयरपर्सन और बेटे करण सिद्धू को असिस्टेंट एडवोकेट जनरल लगाया था, लेकिन इस नियुक्ति को लेकर वह निशाने पर आ गए थे। इसके बाद सिद्धू ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा था कि उनकी पत्नी व बेटे ने अपने पद से संभालने से इन्कार कर दिया है।
जाखड़ ने किया सिद्धू का समर्थन
कांग्रेस के प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ ने सिद्धू का समर्थन करते हुए कहा है कि मंत्री अपने विभाग में कार्रवाई करने को लेकर स्वतंत्र है। मंत्री की कार्रवाई पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। विधायकों को अगर कोई दिक्कत है तो उन्हें मंत्री के साथ बैठ कर बात करनी चाहिए। सिद्धू की प्रेस कांफ्रेंस विधायकों के शामिल नहीं होने पर उन्होंने कोई कमेंट्स नहीं किया।