Thursday , December 5 2024

अफ्रीका और श्रीलंका में लागू होगी बुद्धभूमि की शिक्षा, जानिए क्या है विशेषता

गोरखपुर (जेएनएन)। गौतम बुद्ध की धरती से कभी अ¨हसा परमोधर्म: से पूरी दुनिया को शिक्षा का संदेश मिला था। अब तथागत की धरती से नई शिक्षा पद्धति की गूंज भी पूरे विश्व में सुनाई देगी। अफ्रीका और श्रीलंका में भी यहां की शिक्षा पद्धति लागू होगी। इसके लिए संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएनओ) की टीम ने जिले का दौरा भी कर लिया है। टीम जनपद के प्राथमिक स्कूल और कस्तूरबा विद्यालय में पढ़ाई व्यवस्था का जायजा लेकर लौट गई है।

पूरे विश्व में पिछड़े देशों के पिछड़े गांवों के पुनर्वास के लिए अंतरराष्ट्रीय आपात कालीन सुरक्षा समिति काम कर रही है। यह समिति विश्व के 40 देशों में अतिनिर्धन परिवार और उनके बच्चों के बीच उनके रहन-सहन, खान-पान, स्वास्थ्य और शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए काम करती है। इसके सदस्यों में गणित विषय विशेषज्ञ किरुबा मुरुगाई, साक्षरता विशेषज्ञ किम्बेले, वरिष्ठ डिजाइन विशेषज्ञ लोरा डी रेनाल की संयुक्त टीम ने दो दिन तक प्रदेश के पिछड़े जिले में शुमार सिद्धार्थनगर जिले की शिक्षा व्यवस्था का जायजा लिया। टीम ने सदर ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय रेहरा, बसौना व कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय नौगढ़ में पढ़ रहे बच्चों से वार्ता की। शिक्षकों से भी जानकारी प्राप्त की।

संस्था के सदस्य अमेरिकी नागरिक हैं। इन्होंने प्राथमिक विद्यालयों में पें¨टग के जरिये दी जा रही शिक्षा व्यवस्था का बारीकी से अध्ययन किया। विद्यालयों के दीवारों पर लिखे गए शब्द कोश और ज्ञान की बातों से टीम प्रभावित हुई है। विद्यालयों की पढ़ाई व्यवस्था देखने के बाद टीम के सदस्य जिलाधिकारी कुणाल सिल्कू से मिले। उन्होंने बताया कि वह यहां की शिक्षा व्यवस्था से काफी प्रभावित हुए हैं। यहां का शिक्षा माडल भुखमरी से जूझ रहे अफ्रीकी देश कांगों और श्रीलंका के उन गांवों में लागू की जाएगी, जहां के लोग पुनर्वास का जीवन व्ययतीत कर रहे हैं। यह शिक्षा माडल उनके बीच एक सेतु का काम करेगा। टीम ने शिक्षा से विमुख हो रहे बच्चों में दिलचस्पी पैदा करने की मुहिम की सराहना की है

बता दें कि नीति आयोग ने भारत देश के 118 जिलों को अति पिछड़े की श्रेणी में रखा है। इसमें सिद्धार्थनगर 115वें नंबर पर है। आयोग ने जिले के पिछड़ेपन को दूर करने और शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए आठ इंटीकेटर्स जारी किए गए हैं। इसके तहत जिले में शिक्षा के स्तर में आमूल-चूल परिवर्तन किया जा रहा है। परिषदीय विद्यालयों में शैक्षिक वातावरण तैयार हो रहा है। प्रथम संस्था के माध्यम से शिक्षकों को ट्रे¨नग दी जा रही है। पढ़ो सिद्धार्थनगर योजना को संचालित कर अधिक से अधिक बच्चों का नामांकन कराने की मुहिम चल रही है। बच्चों के बौद्धिक स्तर को सुधारने का काम चल रहा है। यह मुहिम जिले के 150 विद्यालयों में शुरू की गई है। ग्राम पंचायत निधि से आपरेशन कायाकल्प में विद्यालयों की मरम्मत व रंगरोगन कराया गया है। मेरा विद्यालय, मेरी पुस्तक योजना में दीवारों पर पेंटिग कराकर बच्चों के सामान्य ज्ञान बढ़ाया जा रहा है। कक्षा नौ से 12 तक के छात्रों के लिए सक्षम एप लांच किया जाएगा।

सिद्धार्थनगर के जिलाधिकारी कुणाल सिल्कू का कहना है कि सिद्धार्थनगर जिले के प्राथमिक और कस्तूरबा विद्यालयों में शिक्षा के स्तर में काफी सुधार हुआ है। यहां यूएनओ की टीम का दौरा करना सबके लिए गर्व की बात है। यहां के शिक्षा माडल को टीम ने पसंद किया है, जो अफ्रीका के कांगों और श्रीलंका के पिछले क्षेत्रों में लागू की जाएगी।

E-Paper

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com