भाजपा से खफा चल रहे शत्रुघ्न सिन्हा (शॉटगन व बिहारी बाबू भी) ने पटना में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के साथ पूजा पंडालों में घूमकर और उन्हें विजयी भव: का आशीष देकर बिहार में आर-पार का एलान कर दिया है। पटना साहिब संसदीय सीट से भाजपा के टिकट पर सांसद और वाजपेयी सरकार में मंत्री रह चुके शत्रुघ्न की पार्टी से बढ़ती दूरी खुलकर सामने आ चुकी है। मीसा भारती और तेजस्वी पहले ही उन्हें अपने दल से लोकसभा चुनाव लडऩे का ऑफर दे चुके हैं।
भाजपा में विलेन तो महागठबंधन में सुपरस्टार
भाजपा के लिए शत्रुघ्न भले ही विलेन की भूमिका में हैं, किंतु उनकी हालिया गतिविधियों ने उन्हें महागठबंधन का सुपर स्टार बना दिया है। सियासत में अबतक डबल भूमिका निभा रहे बिहारी बाबू के ताजा स्टैंड से दो बातें साफ हो चुकी हैं। पहली यह कि अगले लोकसभा चुनाव में उन्हें भाजपा अपना प्रत्याशी नहीं बनाने जा रही है। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह कि शत्रुघ्न सिन्हा अपनी परंपरागत सीट पटना साहिब से ही किस्मत आजमाएंगे। वह दल बदल सकते हैं, किंतु सीट नहीं।
दो साल से अलग राह पर शत्रुघ्न सिन्हा
पहले कहा जा रहा था कि आम आदमी पार्टी दिल्ली की किसी सीट से उन्हें प्रत्याशी बना सकती है, लेकिन दो दिन पहले आप ने दिल्ली की सभी सीटों पर प्रत्याशियों के नाम घोषित कर शत्रुघ्न के बारे में लगाए जा रहे कयासों को विराम दे दिया। इसके पहले यूपी के मुजफ्फरनगर में आम आदमी पार्टी की किसान पंचायत में यशवंत सिन्हा के साथ शिरकत करके शत्रुघ्न ने ऐसी संभावनाओं को हवा दी थी।
बिहारी बाबू दो वर्ष पहले से ही भाजपा से अलग राह पर चल रहे हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा के साथ वह देशभर में घूमकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों एवं भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की कार्यप्रणाली की आलोचना कर रहे हैं। नरेंद्र मोदी के विरोध के नाम पर शत्रुघ्न को राजद, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी या फिर आम आदमी पार्टी किसे से गुरेज नहीं है।
अब भाजपा के दावेदार होंगे सक्रिय
भाजपा से शत्रुघ्न के किनारे होते ही पटना साहिब के दावेदार सक्रिय हो गए हैं। कायस्थ और वैश्य बहुल इस सीट के लिए भाजपा की ओर से सबसे बड़ा दावेदार केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को माना जा रहा है। किंतु राज्यसभा की सदस्यता अभी पांच साल शेष रहने के चलते सांसद आरके सिन्हा के पुत्र ऋतुराज सिन्हा की कोशिशें आगे निकलती दिख रही हैं। शत्रुघ्न के नए पैतरे से महागठबंधन के दावेदार अपने-आप किनारे लगते दिख रहे हैं। पिछली बार यह सीट कांग्रेस के हिस्से में गई थी और कुणाल सिंह ने शत्रुघ्न को टक्कर दी थी।