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अभागी मां की दास्‍तां, पायल बेचकर भी नहीं बचा सकी अपनी बेटी की जिंदगी

 यह एक गरीब मां की बेबसी है तो सरकारी अस्पतालों के तंत्र की बेदिली भी। जहां एक मां अपनी पायल तक बेच देती है लेकिन अपनी नवजात बेटी की जान नहीं बचा पाती। मानवता विहीन समाज में इस तरह की घटना ने लोगों को हिला कर रख दिया है। इस घटना ने सरकारी दावों को बेनकाब कर दिया। हां यह अलग बात है कि अब मेडिकल कॉलेज प्रशासन जांच करा रहा है।

  यह मामला मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज से संबद्ध एसआरएन (स्वरूपरानी नेहरू) अस्पताल का है। उतरांव थाना क्षेत्र के सैदाबाद निवासी राजकुमार यादव अपनी पत्नी ङ्क्षरकी की डिलीवरी कराने मंगलवार को एसआरएन अस्पताल पहुंचे थे। स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ उर्वशी सिंह ने जांच के बाद बताया कि ऑपरेशन करना पड़ेगा। डॉक्टर ने दवा की पर्ची देते हुए बाहर मेडिकल स्टोर से दवा व ओटी में प्रयुक्त होने वाले सामान खरीदकर लाने को कहा। दर्द से कराह रही पत्नी को लेबर रूम में ही छोड़कर वह अस्पताल गेट पर स्थित देव मेडिकल स्टोर पर गया।

 दवा आदि के रुपये कम पडऩे लगे तो दवा देने से इन्कार कर दिया गया। दुकानदार ने कहा कि कोई सामान हो तो उसे जमा करके दवा ले सकते हो। ऐसे में राजकुमार पत्नी की पायल निकालकर लाया और उसे देने के बाद दवा लेकर फिर अस्पताल पहुंचा। उसके कुछ समय बाद डॉक्टर ने ङ्क्षरकी का आपेरशन कर एक बच्ची को जन्म दिया, लेकिन बच्ची की हालत गंभीर थी। डॉक्टरों ने उसका इलाज सरोजनी नायडू चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में कराने के लिए कहा। बताया गया कि इसकी धड़कन बहुत धीमी चल रही है। वहां पहुंचते ही बच्ची की मौत हो गई।

  गुरुवार को राज्य पिछड़ा आयोग की पूर्व सदस्य निर्मला यादव ने अस्पताल पहुंचकर परिजनों से मुलाकात की। उन्होंने मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. एसपी सिंह से मिलकर इसमें कार्रवाई की मांग की। प्रिसिंपल ने तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर पांच दिन में रिपोर्ट मांगी है। कमेटी में अध्यक्ष अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक डॉ. एके श्रीवास्तव व दो सदस्य डॉ. अरविंद गुप्ता व डॉ. अमृता चौरसिया शामिल हैं।

उधर, डॉ. उर्वशी का कहना है कि कुछ दवा ओटी में नहीं थी, इसलिए बाहर से दवा लिख दी थी। इस मामले को कुछ लोग बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं।

राजकुमार की पत्नी ङ्क्षरकी एसआरएन के वार्ड छह में बेड नंबर चार पर भर्ती है। लोगों को अपनी आपबीती सुनाकर वह रोने लगा। उसका कहना है कि डॉक्टरों ने उसे दवा और जांच के लिए घंटों दौड़ाया। यदि समय से आपेरशन होता तो मेरी बच्ची को कुछ नहीं होता। उसने बताया कि दवा के लिए मुझे पत्नी का पायल भी मेडिकल स्टोर पर जमा करना पड़ा

यह लापरवाही कहां से हुई है, इसकी जांच के लिए कमेटी गठित कर दी है। रिपोर्ट आने पर जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। आपरेशन करने वाली डॉक्टर से भी जानकारी ली है और मेडिकल स्टोर संचालक पर कार्रवाई के लिए भी लिखूंगा।

– डॉ. एसपी सिंह, प्राचार्य, मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज

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