होस्ट साजिद खान और रितेश देशमुख ने अपने चैट शो ‘यारों की बारात’ में आए उस ऐतिहासिक पल की चर्चा की जिसमें फिल्म जगत के दो दिग्गज 35 साल बाद स्क्रीन पर साथ नजर आए।
पहले एपिसोड की शूटिंग से जुड़े अपने अनुभव बताएं?
साजिद : ज़ी टीवी के शो ‘यारों की बारात’ का कॉन्सेप्ट अभी तक टेलीविजन पर हमने जो देखा, उससे बिल्कुल अलग है। पहली बार दो सेलिब्रिटी बेस्ट फ्रेंड्स एक मस्ती भरे चैट शो में साथ आएंगे और कुछ दिलचस्प चुनौतियों का सामना करते हुए अपनी दोस्ती का इम्तेहान देंगे। हमारे पहले एपिसोड की तैयारी के बारे में हमें पहले से पता था – दोनों दिग्गज की एंट्री, शो की रफ्तार, इसकी स्क्रिप्ट और हर छोटी से छोटी बात। लेकिन जब ये लीजेंड्स मंच पर आए तो हम लोग मौन रह गए और काफी घबराहट महसूस करने लगे थे। ऐसा लग रहा था जैसे हम एक बार फिर बोर्ड परीक्षा दे रहे हैं, जहां प्रश्न पत्र सामने आता है तो सबकुछ जानते हुए हम बस देखते ही रह जाते हैं। हमारे ग्रैंड प्रीमियर एपिसोड में इन दोनों दिग्गजों का एक साथ आना यकीनन एक ऐतिहासिक पल था।
रितेश: चूंकि शो का कॉन्सेप्ट दो सितारों की दोस्ती का जश्न मनाना है, ऐसे में हमारे जेहन में सबसे पहले दिग्गज दोस्त अमिताभ बच्चन और शत्रुघ्न सिन्हा का नाम आता है। इसलिए साजिद और मैंने उन्हें व्यक्तिगत रूप से मिलने का फैसला किया। दोनों ही तुरंत राजी हो गए। हमें यकीन ही नहीं हो रहा था क्योंकि ये दोनों करीब 35 साल से एक साथ पर्दे पर नहीं आए थे। यह कहने की जरूरत नहीं कि जब वे एपिसोड की शूटिंग करने पहुंचे तो हमें बहुत घबराहट हो रही थी।
ऐसा कहा जाता है कि दो महिला कलाकार कभी पक्के दोस्त नहीं हो सकते। क्या यारों की बारात इस बात को गलत साबित करेगा?
दोनों : लोगों का मानना है कि फिल्म इंडस्ट्री में दोस्ती होती ही नहीं है जो कि सच नहीं है। साथ ही यह भी माना जाता है कि दो हीरोइनें कभी दोस्त नहीं हो सकतीं। ऐसा शायद इसलिए है कि दो मेल एक्टर्स के बारे में मीडिया में शायद ज्यादा लिखा गया है। यारों की बारात इस बात को पूरी तरह गलत साबित कर देगा क्योंकि आने वाले एपिसोड में अनेक फीमेल एक्टर्स इंडस्ट्री के अपने बेस्ट फ्रेंड्स के साथ आएंगी।
क्या इस शो में प्रतिद्वंद्वी सेलिब्रिटी कलाकार भी मिलेंगे?
साजिद: आपकी जिंदगी में बहुत से लोग आएंगे और जाएंगे लेकिन सच्चे दोस्त आपके दिल में अपनी छाप छोड़ जाएंगे। दोस्तों में लड़ाई भी होती है और ईगो भी टकराते हैं। लेकिन यदि वे आपके सच्चे दोस्त हैं तो वे आपसे सिर्फ एक कॉल की दूरी पर होते हैं। मेरे दोस्तों के साथ मेरे रिश्तों में भी कई उतार-चढ़ाव आए हैं लेकिन इसमें बस फोन उठाकर मामला सुलझाने की देर होती है। यारों की बारात का मकसद दोस्तों को वापस साथ लाकर उन्हें दोबारा मिलाना नहीं है। यह शो दोस्ती का जश्न मनाता है जिसमें हमारी कोशिश यह है कि सेलिब्रिटी दोस्त एक दूसरे से जुड़ी खास बातें बताएं। हमारा मकसद है दर्शकों को एक घंटे का भरपूर मनोरंजन दें जिसमें वे अपने पसंदीदा सितारों की दोस्ती के कुछ अनछुए पहलू भी जान सकें।
इस शो के टारगेट ऑडियंस कौन हैं?
रितेश: पूरा परिवार एक साथ मिलकर इस शो को आनंद ले सकता है। परिवार का हर सदस्य इस शो से जुड़ सकता है। इसमें पैरेंट्स के लिए यादें हैं, युवाओं के लिए मनोरंजन और दोस्ती के लक्ष्य होंगे और साथ ही बहुत से मस्ती भरे पल होंगे जिसे सारा परिवार साथ मिलकर एंजाय कर सकता है।
दोस्ती को लेकर आपके क्या विचार हैं? आपके बेस्ट फ्रेंड रितेश की खासियत बताएं?
साजिद: भाई-बहन का रिश्ता तो ईश्वर तय करता है और वे आपकी किस्मत में पहले से लिखे होते हैं लेकिन दोस्तों का चुनाव किया जाता है। यह एक निस्वार्थ रिश्ता है जहां सिर्फ भावनाओं, खुशी और गम का आदान प्रदान होता है। इसमें सबसे खास बात होती है हर अच्छे और बुरे वक्त में एक दूसरे के साथ होना। रितेश इस सालों में हमेशा मेरे साथ रहा है। वह मेरे परिवार के सदस्य जैसा है। वह बहुत ही सज्जन लेकिन शरारती इंसान है। मैं गर्व से कह सकता हूं कि वो यारों का यार है।
अपने दोस्त साजिद के बारे में हमें बताएं?
रितेश: जब मैं इंडस्ट्री में नया था तो साजिद उस समय एक स्थापित होस्ट था और उसका एक चैट शो भी चल रहा था। 2001 में उस समय उसने मुझे अपने चैट शो में आमंत्रित भी किया था। मैं जब उससे पहली बार मिला तभी उससे जुड़ गया। साजिद जैसा दोस्त मुश्किल से मिलता है जो नि:स्वार्थ भाव से आपके साथ होता है। जब बात दोस्ती की होती है तो वह दोस्त के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार रहता है। उसके साथ कोई कुछ गलत भी करता है तो वह समझ नहीं पाता है। मैं शुक्रगुजार हूं कि साजिद मेरा दोस्त है।
उरी में हुए आतंकी हमले और इसके बाद पाकिस्तानी कलाकारों को अपने देश लौटने के निर्देश को लेकर आपके क्या विचार हैं?
रितेश: उरी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक के रूप में भारत के जवाब को मैं सलाम करता हूं। मुझे लगता है कि देश को हमले का जवाब देना ही चाहिए। मेरे लिए तो भारत ही सबसे पहले है और इसमें कोई समझौता नहीं होना चाहिए। उरी हमले के बाद हमारी सेना और प्रधानमंत्री ने जो भी कदम उठाए, मैं उसका समर्थन करता हूं और उन्हें सलाम करता हूं। इस देश में सभी को अपनी राय रखने का अधिकार है लेकिन यदि संबंध तोडऩे से आतंकवाद का मसला हल होता है तो मैं इसका समर्थन करता हूं। आतंकवाद का मुद्दा हल करने के लिए कल यदि भारत-पाक मैच, फिल्में और दोनो देशों के व्यापार भी प्रभावित हों तो भी हम इसका समर्थन करेंगे।
साजिद: सच तो यह है कि हम लोग युद्ध की स्थिति में हैं और हमें भारतीय होने पर गर्व है। हमें सबसे पहले अपने देश का सम्मान करना चाहिए क्योंकि हमारे लिए हमारा देश पहले है। ऐसे में यदि पाकिस्तानी एक्टर्स को वापस जाना पड़ रहा है तो उन्हें वापस चले जाना चाहिए। किसी भी आम भारतीय के समान ही मैं भी अपने देश के साथ हूं। बस मुझे इतना ही कहना है!