पटना। आरोप-प्रत्यारोप और सियासी बयानबाजी से आगे राजद लंबे समय बाद संघर्ष का रास्ता अपनाकर लोकसभा चुनाव में महागठबंधन के पक्ष में माहौल तैयार करने की कवायद में जुट गया है। दिसंबर तक चलने वाले चरणवार आंदोलन की शुरुआत क्रांति दिवस के मौके पर गुरुवार से होगी।
केंद्र और राज्य की सत्ता के खिलाफ आम लोगों की गोलबंदी और राजद की मोर्चाबंदी करने की रणनीति तैयार कर ली गई है। राजद प्रमुख लालू प्रसाद के जेल जाने के बाद राजद ऐसा पहला बड़ा आंदोलन करने जा रहा है, जिसमें छोटे से बड़े स्तर के कार्यकर्ताओं की सीधी भागीदारी होगी।
चारा घोटाले में लालू प्रसाद पिछले साल 23 दिसंबर से जेल की सजा भुगत रहे हैं। उनकी अनुपस्थिति में राजद की आंदोलनात्मक ताकत कुंद पड़ गई थी। हालांकि नेता प्रतिपक्ष के रूप में तेजस्वी यादव ने कोशिश जरूर की, लेकिन कुछ यात्राएं, जनसभाओं और बयानबाजी के अतिरिक्त ऐसा आंदोलन खड़ा नहीं कर पाए, जिससे पार्टी के कार्यक्रमों की निचले स्तर पर पहुंच बन सके।
यह पहला मौका है, जब पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह के नेतृत्व में प्रखंड, पंचायत और गांव स्तर के कार्यकर्ताओं को आंदोलित कर सत्ता के खिलाफ संघर्ष की पटकथा लिखने की तैयारी है। बकौल रघुवंश गाली-गलौज की राजनीति से बिहार का भला नहीं होने वाला है। वादा खिलाफी, धोखाधड़ी और जुमलेबाजी से आगे अब आरपार की तैयारी है।
आज संकल्प दिवस फिर जेल भरो आंदोलन
आंदोलन की शुरुआत गुरुवार को संकल्प दिवस के रूप में होगी, जो जनवरी में जेल भरो आंदोलन से समाप्त होगा। सूबे के सभी जिला मुख्यालयों में गुरुवार को राजद के जिला एवं प्रखंड पदाधिकारी, स्थानीय सांसद, विधायक एवं पार्टी से जुड़े पूर्व जनप्रतिनिधि सत्ता के खिलाफ संकल्प लेंगे।
उसके बाद प्रखंड स्तर पर संघर्ष समिति का गठन होगा, जो गांवों और टोलों में जाकर उनकी स्थानीय समस्याओं को उजागर करेंगे और आम जन को गोलबंद करने की कोशिश करेंगे। कार्यक्रम दो महीने चलेगा। अक्टूबर में प्रखंड स्तर एवं नवंबर में जिला स्तर पर मानव शृंखला बनाकर राज्य सरकार का प्रतिकार होगा। दिसंबर में प्रमंडल स्तर पर आंदोलन होगा। जनवरी तक पांच लाख सत्याग्र्रही तैयार करके जेल भरो आंदोलन की तैयारी है।