इलाहाबाद। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने प्रदेश में खनन माफिया एवं अधिकारियों की मिलीभगत से जारी अवैध खनन की सीबीआई से जांच आदेश को वापस लेने की राज्य सरकार की अर्जी पर अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है। पांच सितम्बर को फैसला आ सकता है।
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डी.बी.भोसले तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खण्डपीठ ने अमर सिंह व कई अन्य की याचिकाओें पर सीबीआई जांच के खिलाफ दाखिल राज्य सरकार की अर्जी पर दिया हैै। महाधिवक्ता विजय बहादुर सिंह ने प्रदेश में अवैध खनन की सीबीआई जांच को गलत करार देते हुए रद्द करने की मांग की है और कहा कि कोर्ट ने बिना सरकार का पक्ष सुने तथा बिना ठोस तथ्यात्मक साक्ष्य के सीबीआई जांच का आदेश दिया है। वह विधि सिद्धान्तों के विपरीत है। ऐसे आदेश से संघीय शासन व्यवस्था प्रभावित होती है। यदि सरकारी तंत्र कोर्ट के आदेश के अनुसार कार्यवाही करने में विफल रहता है तथा तथ्य ऐसे होते जिसकी निष्पक्ष बाहरी एजेंसी से जांच कराना जरूरी होता तो ही कोर्ट ऐसा आदेश दे सकती है।
महाधिवक्ता ने कहा कि नर नारायण मिश्र केस के तहत 31 मई 12 के पहले से लंबित लीज या नवीनीकरण की अर्जियां निरस्त की गयी थी किन्तु कई अन्य याचिकाओं पर कोर्ट ने सरकार को लीज देने या खनन की अनुमति देने का आदेश दिया था। कानूनी स्थिति स्पष्ट न होने के कारण सरकार ने कदम उठाये। यदि आदेश की अवहेलना हो रही थी तो अवमानना याचिका दाखिल की जा सकती थी। उन्होेंने कहा कि अवैध खनन को याचिका में बढ़ा चढ़ाकर दिखाया गया है जहां भी अवैध खनन की शिकायत मिली राज्य सरकार ने कार्यवाही की। कौशाम्बी जिले में 116 ट्रकों पर अर्थदण्ड लगाया गया। सुप्रीम कोर्ट ने 4 जनवरी 16 के आदेश से खनन पट्टे के संबंध मे नर नारायण मिश्र केस का स्पष्टीकरण हो गया और राज्य सरकार ने शासनादेश जारी कर नियमानुसार खनन पट्टा देने की व्यवस्था की है।
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