लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रभारी ओम माथुर के केशव प्रेम ने भाजपा द्वारा बिछायी बिसात ही पलट दी। भाजपा केंद्रीय नेतृत्व की रणनीति के तहत ही केंद्रीय रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा का नाम फाइनल कर दिया था। सिन्हा के नाम पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से भी हरी झंडी मिल गई थी।
नेतृत्व से हरी झंडी मिलने के बाद ही मनोज सिन्हा शनिवार को वाराणसी पहुंचे और बाबा विश्वनाथ के दरबार में पूजा करने के बाद उन्होंने काशी के कोतवाल काल भैरव के यहां भी मत्था टेका। दोपहर तक यह खबर सब तरफ फैल गई थी कि नव निर्वाचित विधायकों की बैठक में मनोज सिन्हा के नाम पर सहमति व्यक्त कर दी जाएगी। लेकिन इसी बीच केशव मौर्या के 60-70 समर्थकों ने दिल्ली में ओम माथुर से मुलाकात की और उन्हें मुख्यमंत्री बनाने के लिए दबाव डाला।
सूत्रों का कहना है कि इस घटना के बाद ओम माथुर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से बात की। माथुर ने पहले केशव को मुख्यमंत्री बनाने के लिए कहा, लेकिन जब दोनों ही नेताओं ने ऐसा करने से मना कर दिया तो माथुर इस बात पर अड़ गए कि मनोज सिन्हा को मुख्यमंत्री न बनाया जाए। उनका तर्क था कि इससे पार्टी का पिछड़ा वर्ग नाराज हो जाएगा।
सूत्रों का कहना है कि इस बदले घटनाक्रम के बाद अमित शाह ने मनोज सिन्हा से फोन पर बात की और उनसे इस बात का खंडन करने को कहा गया कि वह मुख्यमंत्री हो रहे हैं। यह पहला मौका था कि केंद्रीय नेतृत्व ने मनोज सिन्हा से खंडन करने को कहा था, क्योंकि मनोज सिन्हा ने कभी इस बात को हवा नहीं दी थी और उल्टे खंडन ही किया था कि वह मुख्यमंत्री की रेस में हैं।
अमित शाह ने मनोज सिन्हा से फोन पर बात करने के साथ ही योगी आदित्य नाथ को दिल्ली बुलवाया। सूत्रों की मानें तो मनोज सिन्हा को ड्राप करने के बाद केंद्रीय नेतृत्व ने योगी को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया और संतुलन बनाए रखने के लिए दो उप मुख्यमंत्री बनाने का भी निर्णय किया।
केंद्रीय नेतृत्व ने दिल्ली में उत्तर प्रदेश की दूसरी इबारत तैयार करके उससे नेताओं को अवगत करा दिया। इसके बाद लखनऊ में दिल्ली में लिखी गई पटकथा पर अमल कर दिया गया। यह इससे भी स्पष्ट है कि योगी ने उन्हीं लोगों को अपने सहयोगी के रूप में मांगे, जिनका नाम मुख्यमंत्री की रेस में था।