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कर्नाटक में भाजपा के लिए खड़ी हुई दूसरी मुसीबत!

बीएस येदियुरप्पा बेशक कर्नाटक के मुख्यमंत्री बन गए हैं लेकिन उनके लिए मुश्किलें कम नहीं हुई हैं। उन्हें जहां 15 दिनों के अंदर सदन में बहुमत साबित करना है वहीं आज सुप्रीम कोर्ट में उनकी ताजपोशी को लेकर सुनवाई होनी है। इसके अलावा जो दूसरी मुश्किल उनके सामने है वह है अपना पसंद का स्पीकर चुनना। सदन में बहुमत साबित करते समय स्पीकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और पार्टी को संभावित खतरों से भी बचाने का काम करेगा। 

 

कांग्रेस विधायक वीएस उगरप्पा ने कहा, “अगर भाजपा अपनी पसंद का स्पीकर नहीं चुन पाएगी तो विश्वासमत व्यर्थ साबित होगा। अपनी पसंद का स्पीकर चुनने के लिए भाजपा को 7 और विधायकों का समर्थन चाहिए जो इस समय मुश्किल लगता है। परंपरा के अनुसार सदन में सबसे ज्यादा बार चुने जाने वाले सदस्य को प्रोटेम स्पीकर बनाया जाता है। जिसका काम होता है नए विधायकों को शपथ दिलाना और एक फुलटाइम स्पीकर का चुनाव करवाना। 

कांग्रेस के आरवी देशपांडे और भाजपा के उमेश कांति दोनों ही ऐसे विधायक हैं जो आठ बार चुने जा चुके हैं। दोनों ही प्रोटेम स्पीकर की रेस में हैं। हालांकि भाजपा सूत्रों का कहना है कि पूर्व स्पीकर जगदीश शेट्टार और केजी बोपाया और पूर्व मंत्री विश्वेशवर हेगड़े कागेरी का नाम भी सामने आ रहा है। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष बीएल शंकर ने कहा कि प्रोटेम स्पीकर तब तक स्पीकर की भूमिका निभाता है जबतक दूसरा नहीं आ जाता। मगर इसे लेकर कानून साफ नहीं है कि प्रोटेम स्पीकर विश्वासमत साबित करवा सकता है या नहीं। 

कांग्रेस को डर है कि भाजपा विश्वासमत के दौरान प्रोटेम स्पीकर की मदद से उसे डराने की योजना बना रही है। स्पीकर की शक्ति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कांग्रेस के शासन के दौरान स्पीकर ने जेडीएस के 7 विधायकों को निलंबित कर दिया था।

 
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