नई दिल्ली। टैक्स विभाग ने 3 मार्च को ‘बेनामी संपत्ति संव्यवहार अधिनियम’ का उल्लंघन करने वालों को आगाह करते हुए कहा कि उन्हें 7 साल के सश्रम कारावास की सजा के साथ-साथ इनकम टैक्स ऐक्ट के तहत भी आरोपी बनाया जा सकता है।
देश के तमाम अखबारों में आज जारी विज्ञापन में आयकर विभाग ने कहा कि बेनामी संपत्ति लेन-देन न करें, क्योंकि बेनामी संपत्ति संव्यवहार का प्रतिषेध अधिनियम (1988) 1 नवंबर 2016 से अब सक्रिय है।
विज्ञापन में कहा गया है कि काला धन मानवता के विरुद्ध एक अपराध है। सभी कर्तव्यनिष्ठ नागरिकों से हमारा अनुरोध है कि इसके उन्मूलन में सरकार को सहयोग दें। साथ ही विभाग ने कानून की कुछ अन्य महत्वपूर्ण धाराओं पर भी प्रकाश डाला है।
इसके अनुसार, बेनामीदार (जिसके नाम पर बेनामी संपत्ति है) और हिताधिकारी (जिसने वास्तव में प्रतिफल का भुगतान किया है) तथा वे व्यक्ति जो बेनामी संव्यवहार के लिए उकसाते हैं या लालच देते हैं, वे अभियोज्य है तथा उन्हें बेनामी संपत्ति के उचित बाजार मूल्य वर्ष के 25 प्रतिशत तक के जुर्माने के अलावा 7 साल तक तक का कठोर कारावास हो सकता है।
इसमें यह भी कहा गया है, जो व्यक्ति बेनामी अधिनियम के अंतर्गत प्राधिकारियों के समक्ष झूठी सूचना प्रस्तुत करते हैं, वे अभियोज्य हैं तथा उन्हें बेनामी संपत्ति के उचित बाजार मूल्य के 10 प्रतिशत तक के जुर्माने के अतिरिक्त 5 साल तक जेल हो सकती है।
विभाग ने साफ किया है कि बेनामी संपत्तियों को सरकार कुर्क या जब्त कर सकती है। ये कार्रवाईयां आयकर अधिनियम 1961 जैसे अन्य कानूनों के अंतर्गत की जाने वाली कार्रवाईयों से अलग होंगी। गौरतलब है कि पिछले साल नवंबर में कानून के प्रभावी होने से अब तक विभाग ने देशभर में ऐसे 230 मामले दर्ज किए हैं और करीब 55 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त की हैं।