कांग्रेस को रविवार की उम्मीद भरी सुबह का इंतजार है। यूपी कांग्रेस से जुड़े नेता शनिवार को सुबह से देर शाम तक खामोश रहे। देर शाम यूपी के प्रभारी और पार्टी महासचिव गुलाम नबी आजाद दस जनपथ सोनिया गांधी के आवास से बाहर निकले। कार का शीशा थोड़ा सा खोला और संक्षिप्त बातचीत में मीडिया से कहा कि गठबंधन पर सुबह तक पता चलेगा।
ऐसा ही बयान प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर ने दिया। उन्होंने कहा कि बातचीत में किसी तरह की कोई रुकावट नहीं है। दूसरी ओर, गठबंधन न होने की स्थिति में शनिवार को कांग्रेस चुनाव समिति की बैठक में संभावित उम्मीदवारों के नाम भी तय कर लिए गए हैं।
अखिलेश यादव को सपा और साइकिल मिलने के बाद कांग्रेस इस कदर उत्साहित थी मानो कुछ घंटों में गठबंधन और सीटों के तालमेल की घोषणा हो जाएगी। न तो सपा की ओर से अधिकारिक तौर पर स्पष्ट हुआ कि कितनी सीट देने को तैयार है और न ही कांग्रेस के वार्ताकार स्पष्ट आंकड़ा बता पाए कि उन्हें कितनी सीट चाहिए। कांग्रेस की मानें तो 147 से शुरू हुई बात 53 अंकों तक बढ़ती-घटती रही। सीटों पर बात न बनती देख गुलाम नबी आजाद भी शनिवार को लखनऊ नहीं गए।
गठबंधन का मन बनाकर बैठी कांग्रेस ये मानकर चल रही थी उसे यूपी की 100-120 सीटों के बीच ही चुनाव लड़ना है। लिहाजा जिताऊ सीटों के अलावा राज्य की अन्य विधानसभा सीटों को पूरी तरह से छोड़कर चल रही थी। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि गठबंधन की बात बिगड़ी देख कांग्रेस ने अपने सचिवों और अन्य नेताओं को तलब कर अन्य सीटों पर समीकरण और उम्मीदवारों पर भी चर्चा शुरू की।
दो दिनों में कांग्रेस ने पहले, दूसरे और तीसरे चरण की कुछ सीटों पर पैनल तैयार किया है। कांग्रेस ने बीते 24 घंटे में अकेले चुनाव लड़ने की रणनीति पर भी विचार शुरू कर दिया है। स्क्रीनिंग कमेटी में तय दो-दो नामों के पैनल पर शनिवार को केंद्रीय चुनाव समिति ने चर्चा की। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस ने अंदरखाने अपने उम्मीदवारों का नाम तय कर लिया है जिसकी घोषणा गठबंधन की बातचीत टूटने की स्थिति में की जाएगी।