जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) देशद्रोह मामले में चार्चशीट से संबंधित फाइल कानून मंत्री के संज्ञान में लाए बिना गृह विभाग में भेजने पर कानून विभाग के सचिव अनूप कुमार मेंहदीरत्ता से मंत्री नाराज हैं। कानून मंत्री कैलाश गहलोत ने इसे नियम विरुद्ध मानते हुए शुक्रवार को दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन को पत्र लिखा है।
कैलाश गहलोत ने पत्र में कहा है कि मेंहदीरत्ता हाई कोर्ट के आदेश पर दिल्ली सरकार में प्रतिनियुक्ति पर आए हैं। उन्होंने बिना मेरी जानकारी के फाइल दूसरे विभाग में भेज दी है। यह बात मेंहदीरत्ता की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) में दर्ज की जाए। मेंहदीरत्ता ने कानून मंत्री को विश्वास में लिए बिना जेएनयू के देशद्रोह मामले की चार्चशीट की फाइल गृह विभाग को भेज दी थी। इस पर गहलोत ने उन्हें नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।
बताया जाता है सचिव ने जवाब दिया था कि वह इस तरह की फाइल गृह विभाग में भेज सकते हैं। सचिव के इस जवाब को कानून मंत्री ने अस्वीकार कर दिया और मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा है। गौरतलब है कि दिल्ली पुलिस ने जेएनयू देशद्रोह मामले में 14 जनवरी 2018 को 1200 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें फरवरी 2016 में जेएनयू में एक कार्यक्रम के दौरान देशविरोधी नारे लगाने के आरोप में पुलिस ने जेएनयू के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार, छात्र नेता उमर खालिद व अनिर्बान भट्टाचार्य को मुख्य आरोपित बनाया है। इन तीनों के अलावा सात कश्मीरी छात्रों को भी आरोपित बनाया गया है।
जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष की 29 जनवरी को हाजिरी
वहीं, जेएनयू प्रशासन ने छात्र संघ अध्यक्ष एन साईं बालाजी के ऊपर नियम तोड़ने के आरोप में प्रॉक्टोरियल जांच बैठाई है। बालाजी को चीफ प्रॉक्टर ऑफिस की तरफ से नोटिस जारी कर 29 जनवरी को हाजिर होने के लिए कहा गया है। चीफ सिक्योरिटी ऑफिसर ने बालाजी के खिलाफ शिकायत की है। इसमें लिखा है कि 13 दिसंबर को केंद्रीय पुस्तकालय के सामने प्रदर्शन में वह शामिल हुए थे, उन्होंने नारेबाजी की। प्रशासन ने उस समय पुस्तकालय के किताब पढ़ने के कक्ष को सुरक्षा के मद्देनजर बंद किया था, उसमें बालाजी ने जबरन प्रवेश किया। बालाजी ने नोटिस का विरोध करते हुए कहा कि प्रशासन ने उनके एमफिल के परिणाम को रोक दिया है। छात्रों के हितों की आवाज उठाने की वजह से इस तरह के कदम उठाए जा रहे हैं।