इलाहाबाद। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बुलंदशहर में अधिग्रहीत जमीन पर सैकड़ों किसानों को हटाने के लिए तीन सौ करोड़ रूपये के भुगतान को गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने कहा है कि अधिग्रहीत जमीन का मुआवजा पहले ही ले चुके किसानों को अवैध कब्जा खाली करने के लिए दोबारा मुआवजा देकर अधिकारियों ने सरकारी धन का बंदरबांट किया है। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित कर लिया है। आदेश 29 अगस्त को सुनाया जायेगा।
यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति के.जे.ठाकुर की खण्डपीठ ने कमला सिंह व तीन अन्य की याचिका पर दिया है। मालूम हो कि 1990 में भूमि का अधिग्रहण किया गया जिसका 1993 में अवार्ड आ गया और किसानों को मुआवजे का भुगतान कर सरकार ने जमीन पर कब्जा कर लिया। यह जमीन विकास के लिए यूपी एसआईडीसी को दी गयी। बाद में टेहरी हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट के लिए जमीन बिजली विभाग को बेच दी गयी। केन्द्र सरकार से मिली धनराशि में से 300 करोड़ रूपये इस जमीन पर जबरन कब्जा जमाये किसानों से समझौता कर भुगतान कर दिया गया। कोर्ट ने जिलाधिकारी द्वारा अवैध कब्जा हटाने पर कोई कार्यवाही न करने तथा किसानों को दुबारा मुआवजा देने को बंदरबांट माना और कहा कि पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कर इसमें लिप्त अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही किया जाना जरूरी है अन्य लोेगों का अदालत से विश्वास उठ जायेगा। कोर्ट ने पूछा क्या अवैध कब्जेदार व सभी प्रदेशवासियों को सरकार
Vishwavarta | Hindi News Paper & E-Paper National Hindi News Paper, E-Paper & News Portal