लखनऊ। समाजवादी पार्टी कुनबे में हुए घमासान पर कुछ भी बोलने से हमेशा बचते रहे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आखिरकार अपनी चुप्पी तोड़ी।
अखिलेश ने माना कि पिछले वर्ष समाजवादी पार्टी में हुई खींचतान के दौरान उन पर निशाना साधा जा रहा था। भले ही सीएम अखिलेश ने चाचा शिवपाल यादव का सीधे-सीधे नाम ना लिया हो, लेकिन उनका इशारा वहीं था।
मैनपुरी में एक जनसभा को संबोधित करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि कुछ लोगों ने उनकी भी साइकिल छीनने की कोशिश की थी, लेकिन उन्होंने साइकिल इतनी तेज दौड़ा दी कि छीनने वाले पीछे रह गए. अखिलेश यादव ने कहा, %कुछ लोगों ने मेरी भी साइकिल छीन ली होती, लेकिन मैंने साइकिल इतनी तेज दौड़ा दी कि वो पीछे रह गए।
अखिलेश यादव ने कहा कि जिन्होंने नेताजी और मेरे बीच खाई पैदा की है, इटावा के लोग उसे सबक सिखाने का काम करें. अखिलेश ने कहा कि ये मेरी ईमानदारी है कि मैं हिसाब-किताब नहीं मांग रहा हूं। उनके पास बूथों पर खर्च करने के लिए पैसा है।
उनपर नजर रखी जाए। यादव ने कहा कि मैं इटावा नहीं आता था क्योंकि मुझे भरोसा था कि इसका ख्याल रखा जाता है। उन्होंने मुझे पार्टी से निकलवा दिया। मुझपर आरोप लगाए कि मैं चांदी की चम्मच लेकर पैदा हुआ, क्या ये मेरे हाथ में था। नेताजी ने मुझे आगे किया तो मेरी जम्मिेदारी थी कि मैं पार्टी को आगे ले जाऊं।
गौरतलब है कि सपा में हुए पारिवारिक विवाद के बाद अखिलेश पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने और उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के लिए कांग्रेस से हाथ मिला लिया। शिवपाल यादव को इटावा के जसवंतनगर सीट से टिकट भी दिया गया। भले ही शिवपाल ने कांग्रेस से गठबंधन पर कोई बयान नहीं दिया है, लेकिन एक साक्षात्कार में उन्होंने यूपी में फिर से सपा की सरकार बनने की इच्छा जताई थी।