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केजीएमयू में लापरवाही से मासूम की मौत, एक ही ऑक्सीजन सिलेंडर से कई बच्चों की नली जोड़ने का आरोप

मेडिकल छात्रों और कर्मचारियों के बवाल के दौरान तीन लोगों की मौत के दो दिन बाद ही प्रदेश के एकमात्र चिकित्सा विश्वविद्यालय किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के ट्रॉमा सेंटर में डॉक्टरों की लापरवाही ने शनिवार को तीन माह के एक मासूम की जान ले ली। डॉक्टरों ने उसकी हालत में सुधार बताकर बच्चा वार्ड में शिफ्ट करने के लिए भेज दिया था। इसी दौरान उसकी हालत बिगड़ने से मौत हो गई। वहीं, प्रशासन ने दावा किया कि जिस बच्चे की मौत हुई वह निमोनिया से पीड़ित था।

 

रायबरेली के मो. रसीद के बेटे सैफ को शुक्रवार को ट्रॉमा के पीडियाट्रिक इंटेसिव केयर यूनिट (पीआईसीयू) में भर्ती किया गया था। शनिवार दोपहर बाद साढ़े तीन बजे बाल विभाग में शिफ्ट करने के दौरान सैफ की तबीयत फिर बिगड़ गई। सीएमएस डॉ. एसएन शंखवार ने बताया कि हालत में सुधार होने पर बच्चों को एंबुलेंस से वार्ड में भेजा जा रहा था। सैफ की तबीयत बिगड़ी तो तत्काल ट्रॉमा लाया गया, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका।

मां का आरोप : उसके बच्चे के साथ तीन अन्य मासूमों की भी मौत
मृतक सैफ की मां का आरोप है कि डॉक्टरों ने ठीक से इलाज नहीं किया। उसके बच्चे के साथ तीन अन्य बच्चों को शिफ्ट किया जा रहा था। मैंने मना किया तो वार्ड बॉय ने झिड़क दिया। एक ही ऑक्सीजन सिलेंडर से सभी बच्चों की नली जोड़ दी। इससे एक को छोड़, बाकी की मौत हो गई।

केजीएमयू प्रशासन का दावा : बाकी बच्चों का चल रहा इलाज
ट्रॉमा के एमएस डॉ. संतोष कुमार ने कहा कि सिर्फ एक बच्चे की मौत हुई। सीएमएस डॉ. एसएन शंखवार ने कहा कि बाकी तीन बच्चों में से 7 साल के रिषभ को पीआईसीयू में रखा गया है। जबकि निमोनिया से पीड़ित महफूज (8) व रुचि (8) का वार्ड में इलाज चल रहा है।

मौत ने केजीएमयू प्रशासन पर खड़े किए कई सवाल

– केजीएमयू के सीएमएस डॉ. एसएन शंखवार ने कहा कि पीआईसीयू से वार्ड में ले जाते समय एक बच्चे की मौत हो गई। एक को दोबारा पीआईसीयू में भर्ती कराना पड़ा। दो को वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। उनके बयान को सही मान लिया जाय तो भी सवाल खड़ा होता है कि पीआईसीयू से चंद कदम दूर बच्चा वार्ड ले जाते समय ही सबकी तबीयत अचानक इतनी खराब कैसे हो गई कि एक की मौत हो जाती है, बाकियों को फिर पीआईसीयू में ले जाना पड़ता है।

– पीआईसीयू से वार्ड में शिफ्ट करने से पहले बच्चों की पूरी पड़ताल की जाती है। रिपोर्ट नॉर्मल होने के बाद ही शिफ्ट किया जाता है। तो क्या इसमें लापरवाही बरती गई।

– एक ही सिलेंडर के सहारे चार बच्चों को ले जाने के आरोप से तो सीएमएस इन्कार कर रहे हैं, लकिन तबीयत बिगड़ने के सवाल पर चुप्पी साध जाते हैं।

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