नई दिल्ली: आज (बुधवार) कोर्ट में चार अहम मामले देखें जाएंगे, जिसमें अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ अहम फैसला सुनाएगी। दूसरी ओर मणिपुर में हुए करीब 1500 एनकाउंटरों के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार के 21 विधायकों के खिलाफ दायर याचिका पर और रोहित वेमुला के भाई को नौकरी देने के मामले में दायर याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट सुनवाई करेगा।
अरुणाचल प्रदेश : राष्ट्रपति शासन लगाने पर फैसला
अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ अहम फैसला सुनाएगी। सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि क्या राज्यपाल को यह अधिकार है कि वह स्वत संज्ञान लेकर विधानसभा का सत्र बुला सकता है या नहीं। दरअसल, अरुणाचल के स्पीकर नबम रेबिया ने सुप्रीम कोर्ट में ईटानगर हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें 9 दिसंबर को राज्यपाल जेपी राजखोआ के विधानसभा के सत्र को एक महीने पहले ही 16 दिसंबर को ही बुलाने का फैसले को सही ठहराया था। इसके बाद 26 जनवरी को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया और कांग्रेस की नबम तुकी वाली सरकार परेशानी में आ गई, क्योंकि 21 विधायक बागी हो गए। इससे कांग्रेस के 47 में से 26 विधायक रह गए। सुप्रीम कोर्ट ने 18 फरवरी को दूसरी सरकार बनने से रोकने की तुकी की याचिका नामंजूर कर दी। 19 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट मे सुनवाई के दौरान ही बागी हुए कालीखो ने 20 बागी विधायकों और 11 बीजेपी विधायकों के साथ मुख्यमंत्री की शपथ ले ली और सरकार बना ली।
मणिपुर : एनकाउंटरों के मामले में सुनवाई
मणिपुर में हुए करीब 1500 एनकाउंटरों के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। शुक्रवार को ही अहम फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा था कि आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर्स एक्ट्स (AFSPA) होने ते बावजूद सेना या पुलिस अत्याधिक फोर्स इस्तेमाल नहीं कर सकती। कोर्ट ने कहा कि मणिपुर में बाहरी ताकत नहीं बल्कि अंदरूनी दिक्कत है और अब वक्त आ गया है कि राज्य से AFSPA हटाने पर विचार किया जाए। कोर्ट ने कहा था कि सभी एनकाउंटरों की जांच होनी चाहिए। ये जांच कौन करेगा, ये कोर्ट बाद में तय करेगा।
दिल्ली : 21 विधायकों के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई
दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार के 21 विधायकों के खिलाफ दायर याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट सुनवाई करेगा। राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा (आरएमएम) नाम के एनजीओ ने याचिका में आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाने को लेकर चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि विधायकों को अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए क्योंकि वो एक साथ लाभ के दो पदों पर बैठे हैं। लिहाजा संसदीय सचिव के तौर पर उनकी नियुक्ति गैर कानूनी है। पिछली बार मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र, दिल्ली सरकार और दिल्ली के उपराज्यपाल से जवाब मांगा था।
दिल्ली : रोहित वेमुला के भाई को नौकरी देने के मामले में दायर याचिका पर सुनवाई
रोहित वेमुला के भाई को नौकरी देने के मामले में दायर याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट सुनवाई करेगा। पिछली सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि रोहित के भाई राजा चेतन्य वेमूला ने दिल्ली सरकार से नौकरी लेने से इंकार कर दिया है। इसलिए, सरकार इस फैसले को वापस ले रही है। याचिकाकर्ता ने कहा था कि एक बार सरकार ने कैबिनेट का फैसला ले लिया तो वह इससे बाहर नहीं जा सकती। फैसला किस आधार पर लिया गया, यह जांच होनी चाहिए। हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को दो हफ्ते में जवाब दाखिल करने के आदेश दिए थे। दरअसल, वकील अवध कौशिक ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दिल्ली सरकार के फैसले को चुनौती दी थी जिसमें हैदराबाद यूनिवर्सिटी के छात्र रोहित वेमूला के भाई को नौकरी देने का निर्णय लिया था। याचिका में कहा गया कि रोहित न तो दिल्ली का रहने वाला था और न ही ऐसे मामले में सरकारी नौकरी दी जा सकती है। हाईकोर्ट ने इस मामले में दिल्ली सरकार से जवाब मांगा था।