नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को गंगा नदी (संरक्षण, सुरक्षा और प्रबन्धन) प्राधिकरण आदेश 2016 को अनुमोदित कर दिया। इससे तेज गति से काम करने के लिए एक संस्थानिक ढांचे की स्थापना होगी और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन को स्वतंत्र रूप से काम करने का अधिकार मिल गया।
प्राधिकरण बनने के बाद उसे पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम, 1986 की धारा 5 के अंतर्गत अधिकार मिलेंगे। जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री की अध्यक्षता में अधिकार प्राप्त कार्यबल का गठन टास्क फॉर्स – गंगा नदी संरक्षण में सम्बंधित 8 मंत्रियों और मंत्रालयों एवं राज्य सरकारों के बीच समन्वय स्थापित करेगा।
इस पर केन्द्रीय मंत्री सुश्री उमा भारती ने कहा कि यह सरकार के गंगा संरक्षण कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। सुश्री भारती ने कहा कि इस निर्णय से गंगा नदी के पर्यावरणीय संरक्षण के लिए एनएमसीजी को और ज्यादा अधिकार मिलेंगे। उन्होंने कहा कि पारदर्शिता एवं किफायत सुनिश्चित करने के लिए समवर्ती ऑडिट एवं सुरक्षा ऑडिट के लिए प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि इस कदम से गंगा नदी के प्रदूषण में प्रभावशाली ढंग से कमी सुनिश्चित होगी और इससे नदी में पारिस्थितिक प्रवाह को बनाए रखने में मदद मिलेगी। सुश्री भारती ने यह जानकारी दी कि 11 शहरों के 22 प्रमुख नालों के लिए निविदाएं अगले सप्ताह तक जारी की जाएंगी। हाइब्रिड वार्षिकी मोड पर गंगा में होने वाले सीवर प्रवाह में 90 फीसदी हिस्सा इन्हीं 22 प्रमुख नालों का रहता है।
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