बीजिंग। चीन ने संयुक्त राष्ट्र न्यायाधिकरण द्वारा दक्षिण चीन सागर पर उसके अधिकार को निरस्तं किए जाने के खिलाफ एक श्वेकत पत्र जारी किया है। इसमें कहा गया है कि दक्षिण चीन सागर पर उसका अधिकार 4 हजार साल पुराना है। चीन को कूटनीतिक तौर पर एक बड़ा झटका देते हुए हेग स्थि त स्थायी मध्यस्थता अदालत ने मंगलवार को रणनीतिक लिहाज से महत्वपूर्ण दक्षिण चीन सागर पर चीन के दावों को खारिज कर दिया था। स्थाायी मध्य स्सागता अदालत ने फिलीपींस की याचिका पर दिए गए अपने फैसले में कहा है कि चीन ने फिलीपींस के संप्रभुता के अधिकारों का उल्लंघन किया है। अदालत ने कहा कि चीन ने कृत्रिम द्वीप बनाकर मूंगे की चट्टानों वाले पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाया है। इस फैसले के खिलाफ चीन द्वारा जारी किए गए श्वेत पत्र में कहा गया है कि चीन का 2000 साल से दक्षिण चीन सागर पर दावा है और याचिका दायर करने वाला फिलीपींस चीनी क्षेत्र पर कब्जा कर रहा है। इसमें कहा गया कि दक्षिण चीन सागर में चीन और फिलीपींस के बीच विवादों के मूल में वे क्षेत्रीय मुद्दे हैं, जो 1970 के दशक में शुरू हुई फिलीपींस की घुसपैठ और कुछ द्वीपों एवं चीन के नांशा कुंदाओ (नांशा द्वीपसमूहों) पर अवैध कब्जे के कारण पैदा हुए हैं। श्वेत पत्र में कहा गया है कि फिलीपींस ने इस तथ्य को छिपाने के लिए और अपने क्षेत्रीय दावे बरकरार रखने के लिए कई बहाने गढ़े हैं। चीन के स्टेट काउंसिल इंफॉर्मेशन ऑफिस की ओर से जारी श्वेत पत्र में कहा गया कि फिलीपीन का दावा इतिहास और अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार आधारहीन है। पत्र में कहा गया कि इसके अलावा, समुद्र के अंतरराष्ट्रीय कानून के विकास के साथ दक्षिण चीन सागर के कुछ नौवहन क्षेत्रों को लेकर चीन और फिलीपींस में नौवहन सीमा-निर्धारण संबंधी विवाद भी पैदा हो गया। श्वेत पत्र में फिलिपींस पर हमला बोलते हुए कहा गया कि मनीला ने चीन और फिलीपींस के बीच की द्विपक्षीय सहमति को नजरअंदाज करते हुए बार-बार प्रासंगिक विवादों को जटिल करने वाले कदम उठाए हैं, जिससे वे बढ़े ही हैं। फिलिपींस ने घुसपैठ और अवैध कब्जा करके चीन के नांशा द्वीपसमूह के कुछ द्वीपों पर सैन्य प्रतिष्ठान बनाए हैं।