श्रीधर अग्निहोत्री
लखनऊ। यूपी विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है प्रदेश की राजनीतिक सुई की दिशा साम्प्रदायिकता और जातीयता की ओर बढ़ना शुरू हो गयी है। हर दल साम्प्रदायिक और जातीय संतुलन साधकर निशाना लगाने को तैयार है। पिछले दो दिनों में जिस तरह राजनीतिक दलों ने इसे लेकर पैंतरेबाजी दिखाई दी है उससे एक बार फिर साफ हो रहा है कि यूपी का अगला चुनाव विकास के मुद्दे से भटककर साम्प्रदायिकता और जातीयता पर जाकर ही टिकेगा।
इसे उत्तर प्रदेश का ही दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि पिछले दो दशकों से प्रदेश की राजनीति इसी दिशा पर आकर टिकती रही है। पिछले दो दिनों में जो कुछ हो रहा है उससे इस बात के संकेत मिलना शुरू हो गये है। राजनीतिक दलों चाहे वह कांगे्रस हो अथवा भाजपा, दोनों ही दलों ने अपनी सांगठनिक इकाईयांे का गठन साम्प्रदायिक और जातीय आधार पर वोटों के गणित को ध्यान में रखकर किया है। लेेिकन एक दूसरे पर जातिवाद और साम्प्रदायवाद फैलाने के आरोप लगाने में पीछे नहीं हैं। जहां तक कांगे्रस के प्रदेश उपाध्यक्ष इमरान मसूद की बात है तो वह कई बार विवादों में आ चुके है। इमरान मसूद सुर्खियों में पहली बार तब आये जब 2014 के लोकसभा चुनाव के पहले एक सीडी जारी हुई जिसमें उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेन्द्र मोदी के खिलाफ विवादित बयान दिया था। इसको लेकर वह 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भी रहे। न्यूज चैनलों पर इमरान मसूद का वह बयान दिखाए जाने पर उनके खिलाफ सहारनपुर के देवबंद थाने में कई धाराओं में मुकदमा भी दर्ज हुआ था। इसी तरह भाजपा विधायक सुरेश राणा , जिन्हे भाजपा ने पार्टी का उपाध्यक्ष बनाया गया है उनकी मुजफ्फनगर दंगों के मामले में साल 2013 में गिरफ्तारी हो चुकी है। उन्हे लखनऊ के गोमती नगर क्षेत्र में गिरफ्तार किया गया था। तब सुरेश राणा पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगा था। इधर सपा और बसपा भी एक दूसरे पर जातिवादी राजनीति का आरोप लगाकर हमलावर होना शुरू हो गये हैं। दोनो दल एक दूसरे पर जाति विशेष के लोगों की राजनीति का आरोप लगाकर अपना परम्परागत वोट बैं सहेजने की दिशा में आगे बढ़ना शुरू हो गये है। कहने को केन्द्र में सत्ताधारी दल भाजपा और प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी सपा विकास की बात कर रही है लेकिन दोनों ही दलों के निशाने पर अपना अपना वोट बैंक है। कहने में कोई संकोच नहीं है इन सारे दलों की रणनीति के पीछे कहीं न कहीं जातीय और साम्प्रदायिकता की गणित छिपी हुई है।
Vishwavarta | Hindi News Paper & E-Paper National Hindi News Paper, E-Paper & News Portal