सूचना एवं प्रसारण मंत्री राज्यवर्द्धन सिंह राठौड़ ने शुक्रवार को लोकसभा में कहा कि टेलीविजन चैनलों पर प्रसारित सामग्रियों पर नजर रखने के लिए मौजूदा समय में विभिन्न स्तरों पर कई नियामक व्यवस्थाएं है और इस संबंध में मानकों का उल्लंघन करने पर कड़े दंड का प्रावधान है.
बीजेपी नेता प्रह्लाद सिंह पटेल द्वारा पेश निजी विधेयक ‘टेलीविजन ब्रॉडकास्टिंग कंपनियां विनियमन विधेयक-2018’ पर चर्चा का जवाब देते हुए राठौड़ ने कहा कि देश में 800 से अधिक टेलीविजन चैनल हैं और इनके परिचालन के संबंध में कुछ कायदे कानून है. यह अपलिंकिंग, डाउनलिंकिंग अनुमति से गुजरते हुए केबल टेलीविजन अधिनियम के दिशानिर्देशों के तहत संचालित होते हैं . इसके बाद 10 वर्ष की अवधि के लिये लाइसेंस दिए जाते हैं . इस संबंध में सेटेलाइट अनुमति ली जाती है .
उन्होंने कहा कि इसके बाद मीडिया हाऊस को लोगों के बीच अपनी सामग्री को लेकर विश्वास कायम करना होता है . टेलीविजन प्रसारण के संबंध में इंटरनेट द्वारा प्रसारण भी हो रहा है . यह स्थिति बढ़ेगी . इससे नैसर्गिक प्रतिस्पर्धा की भावना आएगी . जो सबसे बेहतर होगा, वहीं बढ़ पाएगा .
राठौड़ ने कहा कि जहां तक टेलीविजन पर प्रसारित सामग्रियों का सवाल है, इसमें सबसे पहले चैनल की जवाबदेही है, मीडिया घरानों एवं पत्रकारों की खुद की जवाबदेही होती है. इसके बाद अनेक स्वयं नियामक संस्थान, स्वतंत्र नियामक संस्थाएं हैं . किसी देखने वाले को लगता है कि कोई उल्लंघन हो रहा है तो इन निकायों में बात रख सकते हैं .
उन्होंने कहा कि टेलीविजन चैनलों पर प्रसारित सामग्रियों पर नजर रखने के लिये विभिन्न स्तरों पर कई नियामक व्यवस्था है और इस संबंध में मानकों का उल्लंघन करने पर कड़े दंड का प्रावधान है. यहां तक कि लाइसेंस भी रद्द किया जा सकता है. चैनल बंद होने की स्थिति में पत्रकारों के हितों की सुरक्षा के विषय में उन्होंने कहा कि कंपनी कानून के तहत इस संबंध में प्रावधान हैं .
मंत्री के आग्रह के बाद पटेल ने अपना विधेयक वापस ले लिया . इससे पहले प्रह्लाद सिंह पटेल ने कहा कि मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है और मीडिया की जवाबदेही क्यों नहीं होनी चाहिए? उन्होंने कुछ चैनलों के बंद होने के बाद कर्मचारियों के बेरोजगार होने का हवाला देते हुए कहा कि इस तरह के कर्मचारियों एवं इनके परिवारों की सुरक्षा के लिए कदम उठाया जाना चाहिए. पटेल ने कहा कि बहुत सारे चैनलों का पंजीकरण देश से बाहर का है और प्रभावित कर्मचारी कुछ नहीं कर पाते हैं, सरकार को इस बिंदु पर भी ध्यान देना चाहिए.