इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने का विरोध करने वालों पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि जो इस बदलाव का विरोध कर रहे हैं, उन्हें अपने इतिहास और परंपरा के बारे में जानकारी नहीं है। ऐसे लोगों से इसी तरह की उम्मीद की जा सकती है। हमारी सरकार ने जनभावना को देखते हुए ही इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किया है।
मंगलवार को कैबिनेट बैठक में इलाहाबाद का नाम बदलने समेत कई अन्य प्रस्तावों पर मुहर लगने के ठीक बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पांच दिवसीय (16-20 अक्तूबर) दौरे पर गोरखपुर आए। गोरखपुर एयरपोर्ट से वह सीधे कुसम्ही स्थित शक्तिपीठ बुढ़िया माई मंदिर गए। वहां पूजा-पाठ किया और मंदिर के कायाकल्प कराने का एलान भी कर दिया। बाद में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि लगभग पांच सौ वर्ष पूर्व मुगलकाल में प्रयागराज का नाम बदल कर इलाहाबाद कर दिया गया था।
प्रयाग वह पवित्र स्थल है, जहां ब्रह्मा जी ने प्रथम यज्ञ किया था। देश की सात पवित्र नदियों में तीन नदियों गंगा, यमुना और सरस्वती का प्रयागराज में संगम होता है। हर एक व्यक्ति को अपनी परंपरा, संस्कृति और अपने गौरवशाली इतिहास पर गर्व की अनुभूति होनी चाहिए। उसी परंपरा की वजह से इस पवित्र स्थल का नाम प्रयागराज किया गया। त्रिवेणी का संगम होने से यह प्रयागराज हुआ। हिमालय से निकलने वाली पवित्र नदियों के किनारे कई प्रयाग हैं लेकिन यह प्रयागों का राजा है। रामनवमी पर कन्या पूजन और विजयादशमी पर निकलने वाले विजय जुलूस में शामिल होने के बाद मुख्यमंत्री 20 अक्तूबर को लखनऊ जाएंगे।