Sunday , April 28 2024

जब हनुमान को विवाह करना पड़ा – सती सुवर्चला के महान त्याग की कथा

जब आप हैदराबाद से करीब २२५ किलोमीटर दूर आँध्रप्रदेश के खम्मम जिले में पहुँचते है तो एक ऐसा मंदिर मिलता है जो आपको हैरान कर सकता है। क्यूँकि ये विश्व का एकलौता ऐसा मंदिर है जहाँ पवनपुत्र हनुमान अपनी पत्नी सुवर्चला के साथ विराजमान हैं। अब आप ये प्रश्न कर सकते हैं कि हनुमान तो बाल ब्रह्मचारी हैं। फिर उनकी पत्नी कैसे हो सकती है। वैसे आप भी अपनी जगह ठीक हैं क्यूँकि जब आप वाल्मीकि रामायण या तुलसीदास कृत रामचरितमानस पढ़ते हैं तो बजरंगबली के विवाह का कोई वर्णन नहीं आता। इन दोनों ग्रंथों में हनुमान को बाल ब्रह्मचारी ही बताया गया है। लेकिन अगर आप महर्षि पराशर द्वारा रचित “पराशर संहिता” पढ़ते हैं तो आपको हनुमान के विवाह का प्रसंग पता चलता है। आज हम उसी प्रसंग के बारे में आपको बताने वाले हैं।
पराशर संहिता के अनुसार जब बचपन में मारुति सूर्य को फल समझ कर उसे खाने उसकी ओर चले तब देवराज इंद्र ने हनुमान को रोकने के लिए उनपर वज्र से प्रहार किया जिससे उनका हनु (ठोड़ी) टूट गया। इसी कारण बाद में ब्रह्मदेव ने उन्हें “हनुमान” नाम दिया। साथ ही सभी देवताओं के आशीर्वाद से हनुमान अतुल बल के स्वामी हो गए। किशोर होने पर उन्हें सूर्य नारायण की महत्ता के बारे में पता चला और उन्होंने ये निश्चय किया कि वे सूर्यदेव को ही अपना गुरु बनाएँगे। अपनी ये प्रार्थना लेकर हनुमान सूर्यदेव के पास पहुँचे। तब सूर्यदेव ने कहा कि उनकी गति कभी रुक नहीं सकती इसीलिए अगर हनुमान को उनसे शिक्षा लेनी है तो शिक्षा पूर्ण होने तक उन्हें भी उनके साथ निरंतर चलते रहना होगा। हनुमान ने सूर्य नारायण की इस शर्त को मान लिया। फिर सूर्यदेव ने उन्हें कहा कि जब तक उनकी पूरी शिक्षा पूर्ण नहीं हो जाती तबतक वे कही नहीं जा सकते। अपनी गुरु की आज्ञानुसार हनुमान ने प्रण लिया कि वे अपनी शिक्षा पूर्ण होने से पूर्व कही नहीं जाएँगे। तब सूर्यदेव ने उनकी शिक्षा आरम्भ की। 
हनुमान ने सूर्यदेव से ये प्रार्थना की कि वे उन्हें सभी अष्ट सिद्धियों एवं नौ निधियों का ज्ञान दें। सूर्यदेव ने उनकी ये बात मान ली। सूर्यदेव ने हनुमान को ८ सिद्धि और ५ निधियों की शिक्षा दे दी किन्तु अंतिम ४ निधियों की शिक्षा केवल एक विवाहित व्यक्ति को दी जा सकती थी। तब सूर्यदेव ने हनुमान से कहा कि शेष विद्याओं को प्राप्त करने के लिया पहले उन्हें विवाह करना पड़ेगा। लेकिन हनुमान ने उन्हें बताया कि वे तो बाल ब्रह्मचारी है और इसी कारण विवाह नहीं कर सकते। इसपर सूर्यदेव ने उन्हें बाँकी विद्याओं का ज्ञान देने से मना कर दिया। किन्तु हनुमान भी धुन के पक्के थे, उन्होंने भी ये जिद ठान ली कि जब तक सूर्यदेव उन्हें बाँकी विद्याओं का ज्ञान नहीं देंगे, वे वापस नहीं जाएंगे। लेकिन जब सूर्यदेव किसी भी तरह एक ब्रह्मचारी को बाँकी विद्याओं का ज्ञान देने को तैयार ना हुए तब हनुमान ने उनसे कहा – “हे गुरुदेव! आपकी इच्छा के अनुसार ही, आपको साक्षी मान कर मैंने ये प्रण लिया था कि पूरी शिक्षा लिए बिना मैं वापस नहीं जाऊँगा। अब आप ही मेरे वचन की लाज रखिये।” 
हनुमान की ऐसी बात सुनकर सूर्यदेव के समक्ष धर्मसंकट खड़ा हो गया। उन्हें हनुमान के वचन की रक्षा भी करनी थी और गुरु के धर्म की भी। ऐसे में उन्होंने हनुमान के सामने एक प्रस्ताव रखा कि वे धर्मानुसार उनकी पुत्री सुवर्चला से विवाह कर लें। इसके अतिरिक्त उन दोनों में कोई सम्बन्ध नहीं रहेगा। इस प्रकार उनका ब्रह्मचर्य भी नहीं टूटेगा और वे शेष विद्याओं को भी अर्जित कर सकेंगे। हनुमान की सहमति के पश्चात उन्होंने अपनी परम तेजस्वी पुत्री सुवर्चला को बताया कि वे उनका विवाह हनुमान के साथ करना चाहते हैं। हनुमान जैसे महावीर को अपने पति के रूप में पाने वाली सुवर्चला अत्यंत प्रसन्न हुई। किन्तु जब उसे इस विवाह का कारण और इसकी शर्तों के बारे में पता चला तो उनके दुःख की सीमा ना रही। ऐसे विवाह का अर्थ था कि अपने जीवन के समस्त सुखों का परित्याग कर देना। लेकिन सूर्यदेव ने उन्हें ये बताया कि जगत कल्याण के लिए हनुमान का पूर्ण शिक्षित होना अति आवश्यक है और इसके लिए ये विवाह भी आवश्यक है। तब विश्व कल्याण के लिए सुवर्चला ने उस विवाह की स्वीकृति दे दी। 
सूर्यदेव के आशीर्वाद से फिर हनुमान और सुवर्चला का विवाह संपन्न हुआ और विवाह संपन्न होते ही सुवर्चला सदा के लिए तपस्या में रत हो गयीं। उसके बाद सूर्यदेव ने हनुमान को बाँकी बची ४ विद्याओं का ज्ञान भी दिया जिससे हनुमान अष्ट सिद्धि और नौ निधि के स्वामी हो गए। स्वयं सूर्यदेव ने इस बात की घोषणा की थी कि ये विवाह सृष्टि के कल्याण के लिए हुआ है और हनुमान शारीरिक रूप से ब्रह्मचारी ही हैं। हनुमान की महानता से हम सभी परिचित हैं लेकिन सती सुवर्चला के त्याग और तप को कोई नहीं जानता। धन्य है ये भूमि जहाँ देवी सुवर्चला जैसी महान सती ने जन्म लिया। 
आपमें से कईयों के लिए ये कथा बहुत आश्चर्यजनक होगी लेकिन उससे भी आश्चर्य की बात ये है कि पुराणों में हनुमान के एक नहीं बल्कि तीन विवाहों का वर्णन है। यही नहीं रामायण में उनके एक पुत्र का भी वर्णन आता है। किन्तु ये सब होने के बाद भी हनुमान सदैव ब्रह्मचारी ही रहे। हनुमान की बाँकी दो पत्नियों और पुत्र के विषय में शीघ्र ही दूसरा लेख प्रकाशित किया जाएगा। 
E-Paper

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com