विजयदशमी के दिन नीलकंठ पक्षी और कछुए को देखना शुभ माना जाता है। दशहरा एक ऐसा त्योहार है जिसमें लोग अपनी छतों, बगीचों के आसपास नीलकंठ पक्षी को निहारते हैं। जल और थल दोनों जगहों पर निवास करने वाले जीव कछुए को केवल स्पर्श करने से ही लोगों की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
इन मान्यताओं का निर्वहन करते हुए कानपुर में सालों से विजयदशमी का त्योहार विशेष रूप से मनाया जा रहा है। शुक्रवार को बाजारों में इस त्योहार की विशेष रौनक दिखी। परेड रामलीला मैदान के पास बने शमी वृक्ष पर कलावा बांधकर लोगों ने मन्नत मांगी। इसके बाद नीलकंठ और कुछुए के दर्शन किये गए। जनश्रुति तो और भी हैं लेकिन कई स्थानों पर दोनों बातों का विशेष महत्व है।
पान का बीड़ा खाने की विशेष परम्परा
कानपुर में विजयदशमी के अवसर पर रावण दहन के बाद पान का बीड़ा खाने की विशेष परम्परा है। ऐसा माना जाता है दशहरे के दिन पान खाकर लोग असत्य पर हुई सत्य की जीत की खुशी को व्यक्त करते हैं और यह बीड़ा उठाते हैं कि वह हमेशा सत्य के मार्ग पर चलेंगे।
इस विषय पर ज्योतिषाचार्य पंडित केके तिवारी का कहना है कि पान का पत्ता मान और सम्मान का प्रतीक है। इसलिए हर शुभ कार्य में इसका उपयोग किया जाता है। विजयदशमी के शुभ अवसर शस्त्र पूजन की विशेष परम्परा भी होती है।
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