नई दिल्ली। सुनसान से दिख रहे डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया के दफ्तर के भीतर भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के आरोपों को लेकर एक बवंडर मचा है। काउंसिल के प्रेसिडेंट डॉ. दिब्येन्दु मजूमदार समेत 26 सदस्यों की मेंबरशिप पर विवाद है उंसिल के ही एक सदस्य और केरल डेंटल काउंसिल के प्रेसिडेंट शाज़ी जोसफ मजूमदार अपने कई साथियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की सोच रहे हैं।वह कहते हैं, ”काउंसिल प्रेसिडेंट का रवैया तानाशाही भरा है। काउंसिल की मीटिंग साल में 2-3 बार ही होती है। प्रेसिडेंट (मजूमदार) एक्ज़िक्यूटिव कमेटी जो कि कुछ ही सदस्यों की है, उनके साथ मीटिंग कर सारे फैसले कर लेते हैं। डेंटल काउंसिल में भ्रष्टाचार और अमियमितताओं की ख़बरें पिछले कुछ वक्त में आती रही हैं । शाजी के वकील प्रशांत भूषण ने दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि ये मामला बिल्कुल एमसीआई में पिछले कुछ सालों में हुए भ्रष्टाचार की तरह ही है। इस बारे में केंद्र सरकार ने भी अलग-अलग राज्य सरकारों और डेंटल काउंसिल को लिखा, लेकिन कुछ खास नहीं हुआ है।केंद्र सरकार की ओर से एक चिट्ठी झारखंड सरकार को इसी साल 29 जुलाई को लिखी गई । इस चिट्ठी में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल सरकार ने केंद्र को बताया है कि डॉ डी मजूमदार कोलकाता यूनिवर्सिटीं में प्रोफेसर हैं और वहां से वेतन ले रहे हैं, लेकिन उन्होंने झारखंड में एक मानद टीचिंग पद ग्रहण किया है, जिसके लिए बंगाल सरकार से अनुमति नहीं ली गई है । चिट्ठी में लिखा है कि बंगाल सरकार डॉ मजूमदार के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की बात सोच रही है । केंद्र सरकार ने इस बारे में झारखंड सरकार से जवाब मांगा है, लेकिन प्रेसिडेंट समेत काउंसिल के जिन सदस्यों की मेंबरशिप को लेकर सवाल है, वह कहते हैं कि उन्होंने किसी कानून का उल्लंघन नहीं किया है ।