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तनाव मुक्ति के लिए योग- संस्कृति की क्लास अनिवार्य

yoमनीष शुक्ल
लखनऊ। भागमभाग की जिंदगी और आगे निकलने के लिए गला काट प्रतियोगिता ! नतीजा करियर में छोटी- बड़ी सफलता और जीवन में भारी तनाव। बदलते आर्थिक परिदृश्य में तनाव जीवन का अहम हिस्सा बन गया है। लगभग तीस फीसदी छात्र ऐसे ही हालात में मानसिक तनाव के शिकार हो रहे हैं। इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए सरकार ने पाठ्यक्रम में भारतीय संस्कृति और योग को कोर्स का अनिवार्य हिस्सा‍ बनाने का फैसला किया है। अगले सत्र से प्राइमरी कक्षाओं से लेकर विश्व विद्यालय तक के छात्रों की शारीरिक और मानसिक दक्षता कोर्स में शुमार होगी। पांचवीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए पढ़ाई का मुख्य माध्यम उनकी मातृभाषा होगी।

इसके साथ ही हिंदी, अंग्रेजी समेत लोकल भाषा को बढ़ावा दिया जाएगा। बच्चे के शारीरिक विकास के लिए माध्यमिक कक्षाओं तक मिड डे मील की व्यवस्था होगी। इसका जिम्मा स्कूल और शिक्षकों से हटकर सामुदायिक संस्थाओं को दिया जाएगा। स्वास्थ्य और शिक्षा विभाग मिलकर हेल्थ ऐप के जरिए हर छात्र की सेहत का रिकार्ड रखेंगे।बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वाथ्य को लेकर हाल के सर्वे खतरे की घंटी बजा रहे हैं। कुपोषण से लेकर नैतिक मूल्यों में गिरावट ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय को सख्त कदम उठाने पर मजबूर कर दिया है। अगले सत्र से जूनियर कक्षाओं से लेकर डिग्री कालेज के विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम में भारतीयता की महक होगी। पांचवीं कक्षा तक विद्यार्थी को अपनी मातृभाषा में पढ़ाई की सुविधा होगी जबकि अंग्रेजी के महत्व को देखते हुए पढ़ाई का दूसरा माध्यम रखा गया है। इसी प्रकार उच्च शिक्षा की पढ़ाई करने वालों को भारतीयता की घुट्टी पिलाई जाएगी। खास तौर पर इंजीनियरिंग- मैनेजमेंट समेत अन्य प्रोफेशनल कोर्सों के विद्यार्थियों के लिए भारत का गौरवशाली इतिहास, सामाजिक न्याय, लोकतंत्र जैसे विषयों की जानकारी अनिवार्य होगी। संस्कृत भाषा के महत्व को देखते हुए स्कूल और कालेज स्तर पर कक्षाओं का संचा‍लन किया जाएगा। शारीरिक और मानसिक विकास के लिए योग, शारीरिक शिक्षा, खेलकूद और बाल संसद पाठ़यक्रम का अनिवार्य हिस्सा होंगे। स्वस्थ शरीर और मस्तिष्क के लिए दसवीं कक्षा तक के विद्या‍र्थी के लिए मिड डे मील की व्यवस्था की जाएगी। हालांकि अब अध्यापकों पर भोजन की व्य्वस्था का दायित्व नहीं होगा जिससे वे अध्यापन में ध्यान लगा सकेंगे। स्कूल स्तर पर नियमित रूप से स्वास्थ्य का परीक्षण होगा। इसके लिए शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग मिलकर कैंप लगाएंगे। बच्चों के हेल्थ का ऑनलाइन डाटा तैयार करने के लिए ऐप भी होगा जो सम्पूर्ण रिकॉर्ड रखेगा।

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