लखनऊ में शिक्षा व्यवस्था को लेकर एक चिंताजनक स्थिति सामने आई है। नए शैक्षणिक सत्र 2024-25 की शुरुआत के बावजूद, राजधानी के 167 सरकारी स्कूलों में एक भी नया दाखिला नहीं हुआ है। यह स्थिति अप्रैल में चलाए गए ‘स्कूल चलो अभियान’ की प्रभावशीलता पर सवाल खड़े करती है। शिक्षा विभाग के अनुसार, लखनऊ के आठ ब्लॉक और चार नगर क्षेत्रों के इन स्कूलों में नामांकन शून्य रहा है।
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यह समस्या केवल लखनऊ तक सीमित नहीं है। उत्तर प्रदेश में प्राथमिक और उच्च प्राथमिक सरकारी स्कूलों में नामांकन में भारी गिरावट देखी गई है। 2023-24 में जहां 1.74 करोड़ छात्र नामांकित थे, वहीं 2024-25 में यह संख्या घटकर 1.52 करोड़ रह गई है, यानी करीब 22 लाख छात्रों की कमी आई है।
बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने इस गिरावट को गंभीर चिंता का विषय बताया है। उन्होंने सरकार से शिक्षा प्रणाली पर विशेष ध्यान देने और निजी मदरसों को बंद करने के बजाय उन्हें समर्थन देने की मांग की है।
शिक्षा विभाग ने इस गिरावट के पीछे कई कारण बताए हैं, जिनमें छात्रों का निजी स्कूलों की ओर रुख करना, कोविड-19 के बाद की स्थितियां, और ‘घोस्ट स्टूडेंट्स’ की पहचान शामिल हैं।
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता में सुधार, शिक्षकों की नियुक्ति, और आधारभूत सुविधाओं की उपलब्धता बढ़ाने से ही इस समस्या का समाधान संभव है।
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