तीन साल की कानूनी लड़ाई के बाद आला हजरत खानदान के शीरान रजा खां ने बीवी रहीं निदा खान से सुलह का प्रस्ताव रखा है। बगैर हलाला और बिना शर्त रखने की रजामंदी जताई है। इस मसले पर 29 जनवरी को एक बार फिर हाईकोर्ट के मीडिएशन सेंटर में दोनों पक्षों के बीच एक और बातचीत होगी।
शीरान रजा खां और निदा खान की शादी 28 फरवरी 2015 में हुई थी। शादी के चंद दिन बाद दोनों में विवाद हो गया। वर्ष 2016 में निदा खान कोर्ट गईं। इस पर शीरान रजा खां ने उन्हें तलाक देने का दावा करते हुए कोर्ट में अपना पक्ष रखा। तभी से दरगाह आला हजरत खानदान से जुड़े तलाक के इस हाई-प्रोफाइल मामले पर सबकी नजरें टिकी हैं। हाल में सरकार तत्काल तीन तलाक पर रोक का कानून लाई है। इससे यह मामला और भी चर्चित हो गया है। निदा का कहना है कि मीडिएशन सेंटर में 29 जनवरी की तारीख लगी है। तभी मुकदमे की स्थिति साफ होगी।
सुलह को सारी शर्तें मंजूर
21 जनवरी को हाईकोर्ट के मीडिएशन सेंटर में शीरान रजा खां और निदा खान दोनों पक्ष पहुंचे थे। सुलह की कवायद के बीच शीरान रजा खां की ओर से कहा गया है कि निदा बगैर हलाला और बिना शर्त उनके साथ रह सकती हैं। हलाला करें या न करें, यह पूरी तरह से औरत के ऊपर निर्भर है। मैं उन पर हलाला का भी दबाव नहीं बनाया जाएगा।
क्या है हलाला
शौहर-बीवी में तलाक के बाद अगर दोनों फिर से साथ रहना चाहें तो इसके लिए हलाला करना पड़ता है। इसमें महिला पहले किसी दूसरे शख्स से निकाह करती है। वह शख्स भी अगर तलाक दे देता है तो महिला पहलेे शौहर से निकाह कर उसके साथ रह सकती है।
यह मामला खत्म हो जाए, यही बेहतर
मीडिएशन सेंटर में मामला सुलह के लिए ही जाता है। सुलह की एक कोशिश है। अब यह मामला खत्म हो जाए, यही बेहतर है। समझौते में क्या है, इसकी जानकारी नहीं दे सकते। -अंजुम मियां, शीरान रजा खां के पिता