कुशीनगर। कुशीनगर में आयोजित दो दिवसीय वरिष्ठ इतिहासविद् सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए प्रख्यात इतिहासविद् प्रो. सतीश मित्तल ने कहा कि ‘‘भारत का नया इतिहास तेजी से लिखा जाना चाहिए। आजाद भारत के अपने पहले सम्बोधन में पं. जवाहर लाल नेहरु ने कहा था कि अब भारत का नया इतिहास लिखा जायेगा लेकिन आज तक नहीं लिखा गया।
प्रो. मित्तल ने कहा कि दुनिया के कई देशों ने अपना इतिहास लिख डाला। विश्व के कई विद्वान अपने साहित्यों में भारत को अपना इतिहास लिखने का संकेत कर रहे हैं, लेकिन भारत के लोग अपना इतिहास लिखने के बजाय ब्रिटिश शासकों द्वारा लिखित इतिहास पर विश्वास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अनुकूल परिस्थितियां हो तो परिवर्तन की बात होनी चाहिए।
इतिहासकार प्रोफेसर सतीशचन्द्र मित्तल ने कहा कि बामपंथी इतिहासकारों को नेहरू ने अपने शासनकाल से राजनैतिक और बौद्धिक संरक्षण दिया। वामपंथियों के कहने पर पं. नेहरु ने पाठ्यक्रमों से वैदिककालीन इतिहास को बाहर कर दिया।
प्रो. मित्तल ने कहा कि हम इतिहास का पुनर्लेखन नहीं, इतिहास का सही लेखन चाहते हैं। भारतीय केन्द्रित और तथ्यों के आधार पर इतिहास का लेखन होना चाहिए। बामपंथियों की तरह व्याख्यान के आधार पर इतिहास लिखकर हम खुद को सुरक्षित नहीं करना चाहते। उन्हें वैदिक ज्ञान के बारे में कोई जानकारी नहीं है, जबकि भारतीय इतिहास के प्रमुख स्रोत रामायण और महाभारत हैं।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने कभी पूर्ण स्वतंत्रता की मांग नहीं की। वर्ष 1920, 1928 और 1929 के कांगेस अधिवेशनों में भी स्वतंत्रता के मुद्दे पर कांग्रेस बँटी रही। 1937 में महात्मा गांधी को भी यह आभास हो चला था कि कांग्रेस स्वतंत्रता नहीं चाहती है। वे कांग्रेस में होने वाली लूट-खसोट के प्रति भी सतर्क थे।
महात्मा गांधी ने इसका जिक्र अपने पत्रों में किया है। इन बातों पर गौर करने पर भी आपभी महसूस करेंगे की डोमिन स्टेट की मांग करने वाली कांग्रेस को इतिहास के सही लेखन की कभी जरुरत ही महसूस नहीं हुई।