नई दिल्ली। दालों के आसमान छूते भावों को जमीन पर लाने के लिए केन्द्र सरकार एक महत्वाकांक्षी उपाय करने जा रही है। इन उपायों से जहां देश में दाल की उपलब्धता बढऩे से भावों में कमी आएगी, वहीं दलहन की खेती करने वाले किसान मालामाल होंगे। सरकार की एक समिति ने अरहर और उड़द जैसी दालों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाकर अगले दो साल में 7,000 रुपये प्रति क्विंटल और आगामी रवी मौसम की चना की फसल के लिए एमएसपी बढ़ाकर 4000 रुपये प्रति क्विंटल करने की सिफारिश की है। इतना ही नहीं पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश जैसे सिंचित क्षेत्रों में अगर किसान दाल की खेती करेंगे तो उन्हें 1000 से 1500 रुपये प्रति क्विंटल अलग से मिलेंगे। खास बात यह है कि उत्पादन सब्सिडी के रूप में यह अतिरिक्त राशि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के जरिये सीधे किसानों के बैंक खातों में जाएगी।
जीएम किस्मों को मंजूरी-इसके अलावा समिति ने दलहन की उत्पादकता बढ़ाने के लिए देश में विकसित जीएम किस्मों को मंजूरी देने की भी सिफारिश की है। माना जा रहा है कि सरकार इस समिति की सिफारिशों को अमल में लाने के लिए शीघ्र कदम उठा सकती है।
रिपोर्ट वित्त मंत्री अरुण जेटली को सौंपी-मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्माण्यम ने शुक्रवार को यह रिपोर्ट वित्त मंत्री अरुण जेटली को सौंपी। इस रिपोर्ट में एमएसपी तथा अन्य नीतियों के जरिये दलहन उत्पादन बढ़ाने की रणनीति सुझायी गयी है। समिति का कहना है कि सरकार को एमएसपी बढ़ाने की दिशा में तत्काल कदम उठाने चाहिए।समिति ने दलहन की विभिन्न फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने के कृषि मूल्य एवं लागत आयोग के मौजूदा तरीके को भी बदलने की सिफारिश की है।
समर्थन मूल्य बढ़ाकर 4000 रुपये प्रति क्विंटल-समिति का कहना है कि आगामी रवी मौसम के लिए चने का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाकर 4000 रुपये प्रति क्विंटल किया जाए। पिछले साल चने का न्यूनतम समर्थन मूल्य 3,425 रुपये क्विंटल तथा 75 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बोनस का प्रावधान था। इस तरह सरकार अगर समिति की सिफारिशें मान लेती है तो चने के एमएसपी में 500 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि होगी। इसी तरह समिति ने अगले खरीफ मौसम की उड़द और अरहर के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 6000 रुपये प्रति क्विंटल घोषित करने की सिफारिश की है। फिलहाल बोनस सहित उड़द का एमएपी 5000 रुपये तथा अरहर का 5,050 रुपये प्रति क्विंटल है।
एमएसपी से नहीं बढ़ेगी दालों की महंगाई-आपकी थाली में वाजिब दाम में दाल पहुंचाने का प्लान अरविंद सुब्रमणियम कमिटी ने तैयार किया है। इस प्लान पर एक्शन हुआ तो 5 साल के अंदर दालों की महंगाई पर काबू पा लिया जाएगा। साथ ही किसानों को वाजिब कीमत भी मिलेगी। ये प्लान खुद मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियन ने सरकार को सौंपा है। सरकार को सुझाव दिया गया है कि दाल की स्टॉक लिमिट और एक्सपोर्ट से पाबंदी हटनी चाहिए। दरअसल दालों की पैदावार बढ़ाने के लिए क्या-क्या उपाय किए जा सकते हैं, इस मुद्दे पर सुब्रमणियम की अध्यक्षता वाली कमिटी ने एक विस्तृत रिपोर्ट सरकार को सौंपी है। रिपोर्ट में रबी सीजन में चना का न्यूनतम समर्थन मूल्य 40 रुपये किलो और अरहर-उड़द की एमएसपी 60 रुपये प्रति किलो करने का सुझाव दिया गया है।