नई दवाओं की खोज के लिए वैज्ञानिक निरंतर प्रयासरत रहते हैं। कई बार ऐसा होता है कि नई दवा की तलाश के लिए वह जिस यौगिक की खोज करते हैं, उसे पहले ही तलाशा जा चुका होता है। ऐसे में उनकी पूरी मेहनत बेकार चली जाती है और अपनी खोज को फिर से शुरू करना पड़ता है। अब वैज्ञानिकों ने इस परेशानी से बचने के लिए एक बेहतरीन तरीका ईजाद कर लिया है। दरअसल, उन्होंने एक ऐसी कंप्यूटर एल्गोरिद्म विकसित की है, जो नई एंटीबायोटिक्स और कैंसर दवाओं की तलाश में मदद करेगी और इससे पहले से खोजे जा चुके यौगिकों के फिर से तलाशने की संभावना भी बेहद कम हो जाएगी।
नेचर कम्यूनिकेशंस नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, इसके जरिये सूक्ष्मजीवों द्वारा उत्पादित यौगिकों के विशाल भंडारों को खोजने का नया मार्ग खुलेगा। अमेरिका स्थित कार्नेगी मेलॉन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता अपने कोष के जरिये पहले से ज्ञात किए जा किए जा चुके यौगिकों की पहचान करने में सक्षम थे और भावी विश्लेषण से उसे हटाना चाहते थे। वे ऐसे यौगिकों पर ध्यान केंद्रित करना चाहते थे, जिनकी पहचान अब तक नहीं हो सकी है। उनका उद्देश्य ज्यादा असरदार एंटीबायोटिक्स, कैंसर रोधी व अन्य दवाएं तैयार करना था। इसके लिए उन्होंने यह एल्गोरिद्म तैयार की

इस तरह करेगी काम
वैज्ञानिकों ने इन पांच हजार नए यौगिकों और उनके मास स्पेक्ट्रा के जरिये एक कंप्यूटर मॉडल को प्रशिक्षित किया, जिसका प्रयोग नई और ज्यादा असरदार दवाओं की तलाश के लिए किया जा सकता है।
अभी यह थी दिक्कत
शोधकर्ताओं के मुताबिक, अतीत में मास स्पेक्ट्रोमेट्री डाटा का प्रयोग किया जाता था। इसके जरिये नए यौगिक खोजना बहुत मुश्किल था। पुराने यौगिकों की पुन: खोज की दर भी बहुत अधिक थी। होसेन कहते हैं, आप विश्वास नहीं कर सकते कि पेनिसिलिन की खोज लोगों ने कितनी बार की। दवाओं की खोज के लिए वर्तमान में जो प्रणाली अपनाई जाती है उसकी बहुत सी सीमाएं हैं। ऐसे में नई प्रणाली की खोज आज की बड़ी जरूरत थी। इसी को देखते हुए हमने इस पर काम किया और सफलता हासिल की।
यह भी है सुविधा
यह मिली सफलता
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