इस्लामाबाद । जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए आतंकी एवं हिजबुल कमांडर बुरहान मुज़फ़्फ़र वानी को शहीद घोषित करने वाले पाकिस्तान ने अपनी स्पेशल आजादी ट्रेन को वानी की तस्वीरों से सजाया है। इस कदम से वानी को पाकिस्तान एक नायक की तरह पेश करना चाहता है, जो कथित रूप से कश्मीर की आजादी की लड़ाई में मारा गया। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने बुरहान वानी को शहीद घोषित किया था और कश्मीर के लोगों के समर्थन में पकिस्तान में 19 जुलाई को ”काला दिवस” मनाया था। शरीफ ने कहा था कि कश्मीर एक न एक दिन पाकिस्तान का हिस्सा जरूर होगा। पाकिस्तान की इस आजादी ट्रेन के सभी कोचों पर बुरहान वानी सहित हाल ही में कश्मीर में हुई हिंसा की तस्वीरें लगाई गई हैं। कश्मीर में रहने वाले अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी ने ट्वीटर पर इस ट्रेन की एक तस्वीर भी शेयर की और लिखा कि स्पेशल आजादी ट्रेन कराची के लिए पेशावर से 14 अगस्त को रवाना होगी। पाकिस्तान इस ट्रेन को आजादी की सालगिरह पर चलाता है। यह ट्रेन दश भर में जाती है और पाकिस्तान की संस्कृति और परंपरा को प्रदर्शित करती है। इस ट्रेन में पाकिस्तान अपने सभी प्रांतों की विवाधिता को दिखाता है।
बुरहान वानी के मारे जाने के बाद पाकिस्कान उसका महिमामंडन कर रहा है। जिसपर भारत सरकार ऐतराज जता चुकी है। हाल ही में इस्लामाबद में हुए सार्क सम्मेलन में गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने दो टूक कहा था कि आतंकवाद का न तो महिमामंडन किया जाना चाहिए और न ही उसका संरक्षण होना चाहिए। एक देश का आतंकी दूसरे देश के लिए स्वतंत्रता सेनानी नहीं हो सकता। कश्मीर में वानी के मारे जाने के बाद कई हिंसक झड़पें हुई हैं। इन झड़पों में अब तक 55 लोगों की जान चा चुकी है। कश्मीर के कई इलाकों में अभी भी कर्फ्यू लगा हुआ है। कश्मीर को लेकर भारतीय संसद में भी बहस हो चुकी है।
जानकारी हो कि बुरहान मुज़फ़्फ़र वानी मात्र 15 साल की उम्र में आतंकी संगठन हिजबुल से जुड़ गया था। वह सेना से अपने भाई की हत्या का बदला लेना चाहता था। वानी कश्मीर के त्राल का रहने वाला था। उसने दक्षिण कश्मीर में हिज़्बुल को फिर से स्थापित करने का काम किया था। वह हमेशा फ़ौजी वर्दी में नज़र आता था और हिजबुल मुजाहिद्दीन का पोस्टर ब्वॉय नाम से मशहूर था। हिजबुल ने उसे पढ़े-लिखे नौजवानों को जोड़ने का ज़िम्मा सौंपा था। वानी सोशल मीडिया पर काफी लोकप्रिय था और उसपर 10 लाख रुपये का इनाम था।