लखनऊ । लखनऊ विश्वविद्यालय में पीएचडी प्रवेश की प्रक्रिया अपने अंतिम दौर में चल रही है। इसके बाद भी विवि यह नहीं तय कर सका है कि इस बार कुल कितनी सीटों पर पीएचडी एडमिशन होंगे।
कुलपति ने बैठक में डीन आर्ट्स प्रो. बीके तिवारी की अध्यक्षता में इस पूरे मामले को सुलझाने के लिए कमेटी का गठन किया है। जिसमें प्रवेश कोऑर्डिनेटर प्रो. अनिल मिश्रा, प्रो. विभूति राय व सीडीसी के चेयरमैन प्रो. एके शर्मा को शामिल किया गया है।
कुलपति वीसी ने कमेटी का 20 अक्टूबर से पहले अपनी रिपोर्ट देने को कहा है, ताकि सीटों का निर्धारण किया जा सके। इसमें सोशियॉलजी के अलावा अन्य विभागों की सीटे पर भी कमिटी को निर्णय लेना है। साथ ही पीएचडी की सीटों से जुड़े जो भी मामले हैं उन्हें भी कमिटी निस्तारित करेगी।
कुछ विभाग में सुलझा विवाद
एडमिशन कोऑर्डिनेटर प्रो. अनिल मिश्रा ने बताया कि हिंदी विभाग ने इस विवाद के बाद सभी कॉलेजों के प्रोफेसर को अपने कागजात के साथ बुलाया था। जिसमें उनका जांच के बाद कुल 22 शिक्षकों को पीएचडी कराने के योग्य पाया।
अब हिंदी विभाग में विवि व डिग्री कॉलेजों को मिलाकर कुल 45 सीटों पर पीएचडी होगी. वहीं आईटी कॉलेज के जूलॉजी कोर्स में प्रोफेसर के डॉक्यूमेंट जांच करने के बाद छह शिक्षकों को पीएचडी के अर्हता निर्धारित की गई है। वहीं आट्र्स में सोशियॉलजी के विभागाध्यक्ष ने अप्र्रूवल देने से मना कर दिया। उनके मुताबिक कॉलेज जो को नियमित शिक्षक हैं वह स्नातक के लिए नियुक्त हुए है। परास्नातक में वह मात्र क्लासेज लेते हैं. ऐसे में उन्हें कैसे अर्हता दिया जा सकता है।