नई दिल्ली। इकोनॉमिक अफेयर सेक्रेटरी शक्तिकांत दास ने वित्त वर्ष 2018 के लिए बजट में प्रस्तावित वित्तीय घाटे के लक्ष्य को वास्तविक बताया है।
एक साक्षात्कार के दौरान उन्होने कहा कि सरकार की ओर से वित्त वर्ष 2018 के लिए फिस्कल डेफेसिट का 3.2 फीसद लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
इसको हासिल करने में मदद प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना जैसे रास्तों से बड़े रेवेन्यु की उम्मीद और जीएसटी के लागू हो जाने के बाद अप्रत्यक्ष करों के संग्रह में 8 फीसद से ज्यादा की बढ़ोतरी से है।
दास के मुताबिक सरकार ने बजट के दौरान जो रेवेन्यु के लक्ष्य रखे हैं उससे ज्यादा आय की पूरी उम्मीद है। ऐसा इसलिए क्योंकि बजट में सरकार ने नोटबंदी के असर से बढ़े राजस्व को शामिल नहीं किया है। इसके अलावा उन्होने यह भी कहा कि अगले साल वह रेवेन्यु भी बढ़कर सरकार को मिलेगा जो लोग इस साल प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत अपनी सम्पत्ति का खुलासा तो कर रहे हैं लेकिन बकाया टैक्स का भुगतान करने में असमर्थ हैं।
दास के मुताबिक इनकम टैक्स डिपार्टमेंट बैंकिंग सिस्टम में आई नकदी की जांच कर रहे हैं। इसमें उस सभी खातों की जांच होगी जहां बैंक में जमा हुई राशि आयकर रिटर्न के अनुरूप नहीं होगी।
दास ने यह भी कहा कि जीएसटी के लागू हो जाने के बाद अप्रत्यक्ष करों में 8.8 फीसद की दर से कलेक्शन बढ़ने की उम्मीद है। सरकारी की पूरी कोशिश है कि 1 जुलाई से जीएसटी को लागू कर दिया जाए। दास ने कहा कि जीएसटी को लेकर कोई बढ़ा अनुमान लगाना ठीक नहीं होगा क्योंकि जीएसटी पूरी तरह से नया टैक्स सिस्टम है। ऐसे में हम संकुचित सोच के साथ भी जीएसटी के बाद अपत्यक्ष करों में 8.8 फीसद ग्रोथ का अनुमान लगा रहे हैं। गौरतलब है कि सरकार ने जीएसटी के अंतरग्त 4 स्तरीय टैक्स ढांचे की व्यवस्था की है। ये 5 फीसद, 12 फीसद, 18 फीसद और 28 फीसद हैं।