लखनऊ। भाजपा का आज दामन थामने वाले बृजेश पाठक उत्तर प्रदेश में बसपा के बड़े नेता थे। वह सूबे में बसपा के बड़े ब्राह्मण चेहरा माने जाते थे और उनकी गिनती पार्टी सुप्रीमो मायावती के बड़े करीबियों में होती थी। उनके आने से भाजपा को विधानसभा चुनाव में फायदा मिल सकता है।
बृजेश पाठक का जन्म स्थान हरदोई जिले के मल्लाव में वर्ष 1964 में हुआ था। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से पढ़ाई की और वहीं से छात्र राजनीति की शुरुआत की। छात्र राजनीति के दौरान उन्हें पूर्वांचल के बाहुबली नेता हरि शंकर तिवारी का दत्तक पुत्र माना जाता था।
बाद में बृजेश पाठक मायावती के सम्पर्क में आये और बसपा के बड़े नेता बन गये। वर्ष 2004 में वह उन्नाव से बसपा के टिकट पर लोकसभा का चुनाव जीते थे। मायावती ने वर्ष 2008 में उन्हें राज्यसभा में भेजवाया था।
वर्ष 2007 से 2012 तक जब उत्तर प्रदेश में बसपा की सरकार थी तो मायावती ने बृजेश पाठक की पत्नी नम्रता पाठक को उप्र महिला आयोग का उपाध्यक्ष बनाया था। वह बसपा में सतीश चंद्र मिश्र के बाद नंबर दो के ब्राम्हण नेता माने जाते थे और मायावती के हर कार्यक्रम में उनके साथ देखे जाते थे। रविवार को आगरा में मायावती की रैली में भी उन्हें मीडिया का संयोजक बनाया गया था।
सूत्रों की माने तो बृजेश पाठक पिछले एक साल से बसपा के अंदर खुश नहीं थे। वह दोबारा राज्यसभा के सांसद बनना चाहते थे लेकिन इस बार मायावती ने उन्हें राज्यसभा नहीं भेजा। इसी बीच उनके साले व पूर्व एमएलसी गुड्डू त्रिपाठी को करीब दो माह पहले बसपा ने बाहर कर दिया गया। इसके पहले उनके बड़े भाई को पार्टी से निकाला गया था।
ऐसे में बृजेश पाठक पिछले कुछ समय से बसपा में अपने को उपेक्षित महसूस करने लगे थे। पिछले माह सियासी गलियारे में चर्चा भी थी कि उन्होंने बसपा छोड़ दिया है लेकिन उस समय उन्होंने खुद इसका खण्डन किया था। आज जब वह भाजपा में शामिल हो गये तो पिछले दिनों की अटकलों को बल मिला। उनके आने से चुनाव में भाजपा को फायदा मिल सकता है। उन्नाव और आस-पास के जिलों में बृजेश पाठक की ब्राह्मणों के बीच अच्छी पकड़ मानी जाती है।