बिहार में शराबबंदी की हवा यहां के भ्रष्ट अधिकारी निकाल रहे हैं। ऐसा हम नहीं, आंकड़े कह रहे हैं। बीते साल थानों के मालखानाें में रखी जब्त शराब गायब हुई तो पुलिस ने सफाई दी कि इसे चूहे पी गए। इस साल की बात करें तो पटना में विदेशी शराब की जब्ती का आंकड़ा बीते साल से पांच गुना हो गया है। कारण स्पष्ट है। शराबबंदी के साथ ही कड़े कानून के बावजूद राजधानी में पीने-पिलाने का दौर जारी है। शराब तस्करी का खेल चल रहा है।
कम छापेमारी में भी बढ़ गया शराब जब्ती का आंकड़ा
शराब तस्करी पर पूरी तरह नकेल कसने के लिए पुलिस, रेल पुलिस, उत्पाद विभाग से लेकर आर्थिक अपराध इकाई तक सभी जुटे हैं। लेकिन सच तो यह है कि शराब माफिया चारों विभागों को चकमा देकर शराब की खेप ला रहे है। ऐसी स्थिति तब है जब लगातार छापेमारी हो रही है।
उत्पाद विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो 2017 में 11740 छापेमारियां हुईं। इस दौरान विभाग की टीम ने 909 लीटर विदेशी शराब तथा 1264 लीटर देसी शराब बरामद हुई। वहीं बीयर एक बोतल भी नहीं मिली।
सहायक आयुक्त उत्पाद प्रह्लाद प्रसाद भूषण के अनुसार पिछले साल की अपेक्षा इस साल विभाग ने अधिक मात्रा में शराब जब्त की। साल 2018 के आंकड़े बता रहे हैं कि छापेमारी की संख्या घटकर 9275 रह गई। लेकिन अंग्रेजी शराब की जब्ती 5199 लीटर हुई। छापेमारी कम होने के बाद भी शराब जब्ती पांच गुना बढ़ गई। देशी शराब महज 493 लीटर बरामद हुई।
ब्रांड की आड़ में डुप्लीकेसी का खेल
उत्पाद विभाग ने दो साल में 26 सौ लोगों शराब मामले में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इस दौरान जांच में यह बात सामने आई कि सर्वाधिक शराब एक ही ब्रांड की रही। सूत्रों की मानें तो उत्पाद विभाग ने बरामद एक ही ब्रांड की अंग्रेजी शराब का नमूना जांच के लिए भेजा तो रिपोर्ट भी हैरान करने वाली आई। रिपोर्ट में कहीं ब्रांड की आड़ में डुप्लीकेसी की शिकायत मिली तो कहीं अल्कोहल की मात्रा काफी कम मिली। सूत्रों की मानें तो शराब माफिया डुप्लीकेसी कर भी फायदा कमा रहा है।
नष्ट की गई दो लाख लीटर देसी, विदेशी व महुआ
इस साल 23 दिसंबर 2018 तक पुलिस, रेल पुलिस, उत्पाद और आर्थिक अपराध इकाई द्वारा देसी, विदेशी, बीयर और महुआ 1 लाख 96 हजार 505 लीटर जब्त शराब नष्ट की गई है। इस दौरान 40 लीटर शराब बच गई। अंग्रेजी शराब की अधिक तस्करी हो रही है।