सात जुलाई 2013 को सुबह बोधगया में विश्वदाय धरोहर महाबोधि मंदिर परिसर और आसपास किए गए श्रृंखलाबद्ध नौ धमाकों में शामिल पांच आरोपितों के खिलाफ शुक्रवार को एनआइए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश मनोज कुमार ने सुनवाई करते हुए दोषी करार दिया। सजा का एेलान आगामी 31 मई को किया जाएगा।
इससे पहले सभी आरोपियों को कड़ी सुरक्षा के बीच कोर्ट लाया गया। कोर्ट की भी सुरक्षा बढ़ा दी गई। एनआइए कोर्ट के विशेष जज मनोज कुमार सिन्हा ने सुनवाई पूरी करने के बाद विगत 11 मई को फैसले की तारीख मुकर्रर की थी। उसी दिन बचाव पक्ष की बहस समाप्त हो गई थी। एनआइए कोर्ट का यह पहला अहम फैसला है।
एनआइए के विशेष लोक अभियोजक ललन प्रसाद सिन्हा के अनुसार मामले में 90 लोगों ने गवाही दी है। कहा कि उमेर सिद्दिकी, अजहर उद्दीन कुरैशी, हैदर अली, मुजीबुल्लाह अंसारी और इम्तियाज अंसारी आरोपित हैं। सभी पटना के गांधी मैदान सीरियल बम ब्लास्ट में भी अभियुक्त हैं।
एनआइए ने बोधगया ब्लास्ट मामले में छह आरोपितों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था। छठा आरोपित नाबालिग था। इस कारण उसके मुकदमे को ट्रायल के लिए गायघाट स्थित जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में भेज दिया गया था। वहां से उसे बोधगया व गांधी मैदान सीरियल बम ब्लास्ट मामले में 3-3 वर्ष की सजा हो चुकी है। उमेर और अजहर छत्तीसगढ़ के रायपुर के निवासी हैं, जबकि अन्य तीन झारखंड के रहने वाले हैं।
विदित हो कि बोधगया में महाबोधि मंदिर और उसके आसपास सीरियल ब्लास्ट 7 जुलाई, 2013 को सुबह छह बजे हुए थे। इन घटनाओं में दो भिक्षु घायल हो गए थे। विशेष लोक अभियोजक के अनुसार हैदर अली ने इस घटना को अंजाम देने का षड्यंत्र रचा था जिसमें उमेर और अजहर शामिल था।
हैदर अली प्रतिबंधित सिमी का सक्रिय सदस्य था। वह रांची में रहकर संगठन का कार्य देखता था। हैदर अली और उमेर ने ही बोधगया बम ब्लास्ट का ताना-बाना बुना। उसके अलावा अन्य चार अभियुक्त भी इस षड्यंत्र में शामिल हो गए। सभी आरोपित म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमान पर हो रहे अत्याचार का बदला लेना चाहते थे।
इस मामले पर उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि आतंकी गतिविधि में जो भी शामिल हो, वैसे लोगों का कोई भी धर्म और जाति नहीं होता है। ऐसे लोगों को बख्शा नहीं जाना चाहिए। गांधी मैदान ब्लास्ट मामले में भी गिरफ्तार लोगों को कड़ी से कड़ी सजा मिले।